(१) वो गई जो हाथ छोर कर !
अब तनहा चलना सिख रहे हैं !!
हर बार मनाया उसको हमने !
अब खुद को मनाना सिख रहे हैं !!
(२) दूर तक तन्हाई का सफर हैं !
न कोई साथी न हमसफर हैं !!
चलते हैं दिल के सहारे ये सोच कर !
की अगले ही मोड़ पे खुशियों का सहर हैं !!
(३) डूबते हैं तो पानी को दोष देते हैं !
गिरते हैं तो पत्थर को दोष देते हैं !!
इंशान भी क्या अजीब हैं दोस्तों....!
कुछ कर नहीं पाता तो किस्मत को दोष देता हैं !!
(४) जिंदगी बन के तेरे जान से गुजर जाऊँगा !
ऐसे न सता मैं तेरे दिल में उतर जाऊँगा !!
मैं तो तेरे प्यार का एक हार हूँ.....!
एक मोती भी टुटा तो बिखर जाऊँगा !!!
(५) उनकी किस्मत का भी कैसा सितारा होगा !
जिसको मेरी तरह तक़दीर ने मारा होगा !!
किनारे पे बैठे लोग भला ये क्या जाने...!
डूबने वालों ने किस - किस को पुकारा होगा !!
Saturday, June 11, 2011
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