(१) अगर जानते राह-ए-वफा पे साथ न दोगे !
तो हम तेरे वादों पे ऐतबार न करते...!!
अगर वाकिफ होते तेरी बेवफाई से तो !
भूल से भी तुम से प्यार नहीं करते...!!
(२) नदी जब किनारा छोर देती हैं !
राह की चट्टान तक तोर देती हैं !!
बात छोटी सी अगर चुभ जाए दिल में तो !
जिंदगी के रास्तों को भी मोर देती हैं !!
(३) तेरी सज़ा तब तक कबूल हैं मुझे !
जब तक मेरे शरीर में जान हैं....!!
कैसे दुश्मनों से गिला करू मैं !
जब मेरे अपने ही मुझ पे मेहरबान हैं !!
(४) उनकी चाहत में दिल मजबूर हो गया !
बेवफाई करना उनका दस्तूर हो गया !!
कसूर उनका नहीं मेरा था....!
हमने चाहा ही इतना की उनको गुरुर हो गया !!
(५) दिल के तारो को मेरे छेर गया कोई !
मेरे जजबातों से खेल गया कोई !!
हम खो गए हैं राह दिखा दे कोई !
आज हम अकेले हैं उनको ये बता दे कोई !!
Monday, June 13, 2011
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