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Friday, February 16, 2018

7+ New 15 August Independence Day Speech in Hindi

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Independence Day Speech in Hindi ( स्वतंत्रता दिवस भाषण )



1. Best independence day speech in hindi 2018


सभी माननीयों को, आदरणीय अध्यापकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों को सुबह का नमस्कार। हमलोग यहाँ पर 69वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिये एकत्रित हुए है। इस खास अवसर पर भाषण देने के लिये मैं बहुत खुश हूँ। मैं अपने क्लास टीचर का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मुझे अपने देश की आजादी पर मेरे विचार रखने के लिये खास मौका प्रदान किया। स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर अंग्रेजी शासन से आजादी पाने के लिये भारतीयों के संघर्ष पर भाषण देना चाहूँगा।



बहुत साल पहले भारत के महान नेताओं ने ‘भाग्यवधु से एक प्रतिज्ञा की थी’ कि वो हमें अपने जीवन के सुखों के त्याग के द्वारा मुक्त और शांतिपूर्ण देश देंगे। आज हम यहाँ बिना किसी डर के और खुशी चेहरों के साथ स्वतंत्रता दिवस मनाने आए है, केवल हमारे बहादुर पूर्वजों की वजह से। हम सोच नहीं सकते कि कितना कठिन होगा वो समय। हमारे पास अपने पूर्वजों को उनके बहुमूल्य कड़ी मेहनत और बलिदान के एवज में देने के लिये कुछ भी नहीं है। हमलोग केवल उनको और कार्यों को याद रख सकते है तथा राष्ट्रीय कार्यक्रमों को मनाने के दौरान उन्हें सलामी दे सकते है। वो हमेशा हमारे दिल में रहेंगे। सभी भारतीय नागरिकों के हँसते चेहरों के साथ स्वतंत्रता के बाद भारत का नया जन्म हुआ।




ब्रिटीश शासन के शिकंजे से 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली। पूरे देश में भारतीय लोग हर साल इस राष्ट्रीय उत्सव को पूरी खुशी और उत्साह के साथ मनाते है। ये सभी भारतीय नागरिकों के लिये एक महान दिन था जब भारतीय तिरंगे को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने नई दिल्ली के लाल किले पर फहराया था।

हर साल राजपथ पर नई दिल्ली में एक बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है जहाँ प्रधानमंत्री द्वारा झँडारोहण के बाद राष्ट्रगान गाया जाता है। राष्ट्रगान के साथ 21 बंदूकों की सलामी और हेलिकॉप्टर से तिरंगे पर फूलों की बारिश की जाती है। स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है हालाँकि हर कोई इसको अपनी जगह से स्कूल, कार्यालय, या समाज में झंडा फहरा कर मनाता है। हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये और अपने देश के सम्मान की सुरक्षा के लिये अपना बेहतर योगदान देना चाहिये।

जयहिन्द।

2. Latest speech on independence day in hindi language




दिन के सम्माननीय मुख्य अतिथि, आदरणीय अध्यापकगण, अभिभावक और मेरे प्यारे मित्रों को सुबह का नमस्कार। मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ। हम सभी यहाँ बड़े भीड़ में इकठ्ठा होने का कारण जानते है। इस महान दिन को उत्कृष्ट तरीके से मनाने के लिये हम सभी उत्साहित है। अपने राष्ट्र का 69वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिये हम सभी यहाँ इकठ्ठा हुए है। सबसे पहले हम अपना राष्ट्रीय झंडा फहराते है फिर उसके बाद स्वतंत्रता सेनानीयों के वीरता युक्त कार्य को सलामी देते है। मुझे भारतीय नागरिक होने पर गर्व महसूस होता है। आप सब के समक्ष स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देने का मुझे अच्छा अवसर मिला है। मैं अपने आदरणीय क्लास टीचर को धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने मुझे भारत की आजादी पर आप सबके सामने अपना विचार रखने का मौका दिया।




हम सभी हर साल 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस मनाते है क्योंकि 14 अगस्त 1947 की रात को भारत को आजादी मिली। भारत की आजादी के तुरंत बाद, नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस को पंडित जवाहर लाला नेहरु ने भाषण दिया। जब पूरी दुनिया के लोग सो रहे थे, ब्रिटीश शासन से जीवन और आजादी पाने के लिये भारत में लोग जगे हुए थे। अब, स्वतंत्रता के बाद, दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारा देश विविधता में एकता के लिये प्रसिद्ध है। इसने कई घटनाओं का सामना किया इसके धर्मनिरपेक्षता को परखने के लिये जबकि भरतीय लोग हमेशा अपनी एकता से जवाब देने के लिये तैयार रहते है।

अपने पूर्वजों के कड़े संघर्षों की वजह से हम अपनी आजादी का उपभोग करने लायक बने है और अपनी इच्छा से खुली हवा में साँस से सकते है। अंग्रेजों से आजादी पाना बेहद असंभव कार्य था लेकिन हमारे बाप-दादाओं ने लगातार प्रयास से इसको प्राप्त कर लिया। हम उनके किये कार्य को कभी भूल नहीं सकते और हमेशा इतिहास के द्वारा उन्हें याद करते रहेंगे। केवल एक दिन में सभी स्वतंत्रता सेनानीयों के कामों को हम याद नहीं कर सकते हालाँकि दिल से उन्हें सलामी दे सकते है। वो हमेशा हमारी यादों में रहेंगे और पूरे जीवन के लिये प्रेरणा का कार्य करेंगे। आज सभी भारतीयों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है जिसको हम महान भारतीय नेताओं के बलिदानों को याद करने के लिये मनाते है, जिन्होंने देश की आजादी और समृद्धि के लिये अपना जीवन दे दिया। भारत की आजादी मुमकिन हो सकी क्योंकि सहयोग, बलिदान, और सभी भारतीयों की सहभागिता थी। हमें महत्व और सलामी देनी चाहिये उन सभी भारतीय नागिरकों को क्योंकि वो असली राष्ट्रीय हीरो थे। हमें धर्मनिरपेक्षता में भरोसा रखना चाहिये और एकता को बनाए रखने के लिये अलग नहीं होना है जिससे इसे कोई तोड़ न सके और हम पर फिर से राज न कर पाये।

हमें आज कमस खाना चाहिये कि हम कल के भारत के एक जिम्मेदार और शिक्षित नागरिक बनेंगे। हमें गंभीरता से अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिये और लक्ष्य प्राप्ति के लिये कड़ी मेहनत करनी चाहिये तथा सफलतापूर्वक इस लोकतांत्रित राष्ट्र को नेतृत्व प्रदान करना चाहिये।


3. स्वतंत्रता दिवस भाषण For Students


यहाँ मौजूद मेरे प्यारे दोस्तों और आदरणीय अध्यापकों को सुबह का हार्दिक नमस्कार। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर को मनाने के लिये हम सब एकत्रित हुए है। ये दिन हमलोग पूरे उत्साह और खुशी के साथ मनाते है क्योंकि इसी दिन ब्रिटीश शासन से 1947 में भारत को आजादी मिली थी। हमलोग यहाँ 69वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाने आये है। सभी भारतीयों के लिये ये बहुत ही महान और महत्वपूर्ण दिन है। कई वर्षों तक अंग्रेजों के क्रूर बर्तावों को भारतीय लोगों ने सहन किया। आज हमलोग लगभग सभी क्षेत्रों में आजाद है जैसे शिक्षा, खेल, परिवहन, व्यापार आदि क्योंकि ये केवल हमारे पूर्वजों के संघर्षों की वजह से संभव हो सका। 1947 से पहले, लोगों पर बहुत पाबंदियाँ थी यहाँ तक कि उनका अपने दिमाग और शरीर पर भी अधिकार नहीं था। वो अंग्रेजों के गुलाम थे और उनके हर हुक्म को मानने के लिये मजबूर थे। आज हम कुछ भी करने के लिये आजाद है उन महान भारतीय नेताओं की वजह से जिन्होंने ब्रिटीश शासन के खिलाफ आजादी पाने के लिये कई वर्षों तक कड़ा संघर्ष किया।


बहुत खुशी के साथ पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस को मनाया जाता है। ये सभी भारतीयों के लिये बेहद महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि ये हमें मौका देता है उन महान स्वतंत्रता सेनानीयों को याद करने का जिन्होंने हमें एक शांतिपूर्ण और खूबसूरत जीवन देने के लिये अपने जीवन की कुर्बानी दे दी। आजादी से पहले, लोगों को पढ़ने-लिखने की, अच्छा खाने की और हमारी तरह सामान्य जीवन जीने की मनाही थी। भारत में आजादी के लिये जिम्मेदार उन कार्यक्रमों का एहसानमंद होना चाहिये। अपने अर्थहीन आदेशों की पूर्ति के लिये अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ गुलामों से भी ज्यादा बुरा बर्ताव किया जाता था।

भारत के कुछ महान स्वतंत्रता सेनानी है नेताजी सुभाष चनद्र बोस, गाँधीजी, जे.एल.नेहरु, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, खुदीराम बोस, चन्द्रशेखर आजाद आदि। ये प्रसिद्ध देशभक्त थे जिन्होंने अपनी जीवन के अंत तक भारत की आजादी के लिये कड़ा संघर्ष किया। हमारे पूर्वजों द्वारा संघर्ष के उन डरावने पलों की कल्पना भी नहीं कर सकते हमलोग। आजादी के वर्षों बाद हमारा देश विकास की सही राह पर है। आज हमारा देश पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक देश के रुप में अच्छे से स्थापित है। गाँधी एक महान नेता थे जिन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह जैसे आजादी के असरदार तरीकों के बारे में हमें बताया। अहिंसा और शांति के साथ स्वतंत्र भारत के सपने को गाँधी ने देखा।
भारत हमारी मातृभूमि है और हम इसके नागरिक है। हमें हमेशा इसको बुरे लोगों से बचाने के लिये तैयार रहना चाहिये। ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश को आगे की ओर नेतृत्व करें और इसे दुनिया का सबसे अच्छा देश बनाये।

जय हिन्द।

4.New Swatantrata diwas par bhashan hindi me


मेरे सभी आदरणीय अधयापकों, अभिभावक, और प्यारे मित्रों को सुबह का नमस्कार। इस महान राष्ट्रीय अवसर को मनाने के लिये आज हमलोग यहाँ इकठ्ठा हुए है। जैसा कि हम जानते है कि स्वतंत्रता दिवस हम सभी के लिये एक मंगल अवसर है। ये सभी भारतीय नागरिकों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है तथा ये इतिहास में सदा के लिये उल्लिखित हो चुका है। ये वो दिन है जब भारत के महान स्वतंत्रता सेनानीयों द्वारा वर्षों के कड़े संघर्ष के बाद ब्रिटीश शासन से हमें आजादी मिली। भारत की आजादी के पहले दिन को याद करने के लिये हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है साथ ही साथ उन सभी महान नेताओं के बलिदानों को याद करते है जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपनी आहुति दी।


स्वतंत्रता दिवस

ब्रिटीश शासन से 15 अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली। आजादी के बाद हमें अपने राष्ट्र और मातृभूमि में सारे मूलभूत अधिकार मिले। हमें अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिये और अपने सौभाग्य की प्रशंसा करनी चाहिये कि हम आजाद भारत की भूमि में पैदा हुए है। गुलाम भारत का इतिहास सबकुछ बयाँ करता है कि कैसे हमारे पूर्वजों ने कड़ा संघर्ष किया और फिरंगियो कें क्रूर यातनाओं को सहन किया। हम यहाँ बैठ के इस बात की कल्पना नहीं कर सकते कि ब्रिटीश शासन से आजादी कितनी मुश्किल थी। इसने अनगिनत स्वतंत्रता सेनानीयों के जीवन का बलिदान और 1857 से 1947 तक कई दशकों का संघर्ष लिया है। भारत की आजादी के लिये अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले आवाज ब्रिटीश सेना में काम करने वाले सैनिक मंगल पांडे ने उठायी थी।

बाद में कई महान स्वतंत्रता सेनानीयों ने संघर्ष किया और अपने पूरे जीवन को आजादी के लिये दे दिया। हम सब कभी भी भगत सिंह, खुदीराम बोस और चन्द्रशेखर आजाद को नहीं भूल सकते जिन्होंने बहुत कम उम्र में देश के लड़ते हुए अपनी जान गवाँ दी। कैसे हम नेताजी और गाँधी जी संघर्षों को दरकिनार कर सकते है। गाँधी जी एक महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारतीयों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। वो एक एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने अहिंसा के माध्यम के आजादी का रास्ता दिखाया। और अंतत: लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को वो दिन आया जब भारत को आजादी मिली।


हमलोग काफी भाग्यशाली है कि हमारे पूर्वजों ने हमें शांति और खुशी की धरती दी है जहाँ हम बिना डरे पूरी रात सो सकते है और अपने स्कूल तथा घर में पूरा दिन मस्ती कर सके। हमारा देश तेजी से तकनीक, शिक्षा, खेल, वित्त, और कई दूसरे क्षेत्रों में विकसित कर रहा है जोकि बिना आजादी के संभव नहीं था। परमाणु ऊर्जा में समृद्ध देशों में एक भारत है। ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स जैसे खेलों में सक्रिय रुप से भागीदारी करने के द्वारा हमलोग आगे बढ़ रहे है। हमें अपनी सरकार चुनने की पूरी आजादी है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का उपयोग कर रहे है। हाँ, हम मुक्त है और पूरी आजादी है हालाँकि हमें खुद को अपने देश के प्रति जिम्मेदारीयों से मुक्त नहीं समझना चाहिये। देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, किसी भी आपात स्थिति के लिये हमें हमेशा तैयार रहना चाहिये।

5. 15 august speech in hindi for teacher


सेवा में
श्रीमान महानुभाव
एवं यहाँ उपस्थित मेरे भाई एवं बहनो, सबसे पहले में आप सभी को १५ अगस्त की सुभकामनाये देता हु और भगवान से प्राथना करता हूँ की वो आपको हमेशा स्वस्थ रखे । जैसा कि हम सभी जानते है की आज हम १५ अगस्त की ७० वर्षगांठ मानाने जा रहे है हम जानते है कि १५ अगस्त का नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरो में रहेगा । जैसा कि हम सभी जानते है कि हम १५ अगस्त १९४७ को आज़ाद हुवे थे । उससे पहले हम अंग्रेज़ो के अधीन थे, वो अंग्रेज जो हम पर अत्याचार करते थे ।
नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरु ने भाषण दिया था। जब पूरी दुनिया के लोग सो रहे थे, ब्रिटीश शासन से जीवन और आजादी पाने के लिये भारत में लोग संघर्ष कर रहे थे। अब, आज़ादी के बाद, दुनिया में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारा देश विविधता में एकता के लिये प्रसिद्ध है। भारतीय लोग हमेशा अपनी एकता से जवाब देने के लिये तैयार रहते है।

हमारे देश में कही देशभक्तो ने जनम लिया और हमारी आज़ादी के लिए लिए कही सूर बीरो ने अपना बलिदान दिया । हमे आज़ादी बड़े कठिनाइयों से प्राप्त हुवी है । हमे आज़ादी की अहमियत समझनी चाहिये और देश को प्रगतिशील बनाये रखना चाहिए । आज हम अपने घरो में अपने देश में आज़ाद घूमते है ये उन्ही सूरवीरों का काम है जिन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया ।


१५ अगस्त को हम बड़े गर्व के साथ मानते है १५ अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते है और भारतीय सेना इस दिन इंडियागेट पर परेड करती है । इस दिन भव्य कार्यक्रमो का आयोजन होता है, भारत के प्रधानमंत्री अपने भाषण से सारी जनता को संबोधित करते है । एक बार में फिर से आप सभी को १५ अगस्त की हार्दिक बधाई देती हु|
धन्यवाद |

6. Latest independence day speech in hindi pdf 


hamaara desh bhaarat apanee hee anek prakaar kee galatiyon aur kamiyon ke kaaran vigat lagabhag ek hajaar varshon se svayan to kendreey satta se baahar raha hee, samay-samay par anek ant: – baahy shaktiyon se aakraant bhee hota raha . anek prakaar ke videshee aakramanakaaree yahaan par aate rahe . kuchh to loot-paat kar vaapis laut jaate rahe jabaki anek apana mool svaroop evan astitv- vyaktitv bhulaakar ghul-milakar yaheen ke hokar rah gae .


baabar ne yahaan par aakar pahale-pahal apana saamraajy sthaapit kiya aur baad mein usake vanshaj apane-aap ko yaheen ka mool nivaasee sveekaar karane lage . atah unhen aur unake vanshajon -anuyaiyon aadi ke)- bhaarateey sabhyata-sanskrti ka ang hee sveekaar kar liya gaya . baad mein vyaapaar aur shaasan raharane kee ichchha lekar phraanseesee, purtagaal aur agr ja -garat main aae . inamen ua. pas mein to sata sangharsh hota ho raha : raar just- chaalaak angre -jo ne pahale un donon aa ra phir ek-ek kar ke bhaarateey shaasakon ko paraajit kar yaheen ke shaasanatantr par apana sampoorn adhikaar jama liya aur yah adhikaar lagabhag sau varshon se bhee adhik samay tak is desh par jama raha .

angrej-saamraajy ko bhaaratavarsh se ukhaad phenkane ke lie pahalee baar saamoohik prayatn san 1837 mein kiya gaya; par apanee hee kaee tarah kee bhoolon aur kaee tarah ke bheetaraghaatee desh- drohiyon ke kaaran vah prayatn aur sangharsh saphal nahin ho saka . usake -baad angrej-raaj ka daman chakr anyaay-atyaachaar aur bhee badhane laga . ve kaee tarah ke kaanoon banaakar ham par balapoorvak laadane to lage hee, hamaare dhaarmik-sanskrti evan vyaktigat jeevan mein bhee hastakshep karane lage . tab desh ke buddhijeevee svatantrata-premiyon ne desh ko svatantr karaane ke lie saamaajik- raajaneetik star par anek prakaar ke prayatn karane aarama kar die .
prayatn aur sangharsh karane vaalee chhotee- badee anek sansthaen baneen, kraanti dal bane, paartiyaan aur kaangres baneen . kaee prakaar ke aandolan chalae gae . badale mein angrejon ka damanachakr bhee vrddhi paata gaya . anek navayuvakon ko kaale paanee ka dand diya gaya . kaiyon ko phaansee huee . anek maan ke sapooton ko jelon mein sada diya gaya . anekon ko chakkee peesanee aur any kaee tarah ke kathin kaary karane pade . laathiyaan-goliyaan sahanee padee . asahayog aur satyaagrah karana pada . tab kaheen jaakar desh ko svatantr kara paana sambhav ho saka .

svatantrata ka yah nav sooryoday 15 agast, san 1947 ko hua, is kaaran har varsh yah din svatantrata-divas ke roop mein manaaya jaata hai . ise sabhee bhaaratavaasee bina kisee prakaar ke bhed-bhaav ke apane-apane dhang se praay: har nagar, gaanv, garanee aur kooche mein to manaaya hee karate hain; bhaarat se baahar bhee jahaan kaheen koee bhaaratavaasee nivaas karata hai, bhaarat ke raajadootaavaas ya sarakaaree haee kameeshan aadi base aur bane hue hain .

un sabhee sthaanon par raashtreey dhvaj phahara, raashtreeyagaan gaakar use salaamee dekar manaaya jaata hai . aisa karate samay pratyek chhota-bada bhaaratavaasee garv evan gaurav kee ek vishesh. garima se bhar utha karata hai . vaastav mein is din yaani pandrah agast ko manae jaane vaala svatantrata-divas ka paavan raashtreey parv hamaare man- mastishk aur aatma mein svatantrata evan svaavalamban ka ek naya hee aalok, ek sarvatha naveen anubhooti jaga aur bhar jaaya karata hai .


yahee isaka uddeshy hai . jaisa ki oopar kaha ja chuka hai, yah paavan raashtreey parv yon to saare raashtr mein manaaya jaata hai; par sarakaaree taur par aur kendreey roop se isaka aayojan raajadhaanee dillee-sthit laal kile kee unnat praacheer par kiya jaata hai . kaee din pahale se hee chaandanee chauk kee or bane kile ke mukhy dvaar ke saamane vishisht atithiyon evan aam naagarikon ke utsav dekhane ke lie baithane ke sthaan banae jaane lagate hain .

salaamee gaarad ke lie sthaan aur manch banaaya jaata hai . sainikon, pulisakarmiyon, skoolee chhaatron ke jin jatthon ne raashtradhvaj aur pradhaanamantree ko salaamee denee hotee hai, unake sthaan bhee nishchit ho jaate hain . raashtreey-gaan kee yojana bana lee jaatee pandrah agast kee subah pradhaanamantree pahale raajaghaat aadi samaadhiyon par jaakar mahaatma gaandhee aadi raashtreey netaon ko, svatantrata-senaaniyon ko shraddhaanjali arpit kiya karate hain . phir laal kile ke saamane pahunch sena ke teenon angon tatha any balon kee pared ka nireekshan karate hain .

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7. Best speech on independence day in hindi pdf 


हमारा देश भारत अपनी ही अनेक प्रकार की गलतियों और कमियों के कारण विगत लगभग एक हजार वर्षों से स्वयं तो केन्द्रीय सत्ता से बाहर रहा ही, समय-समय पर अनेक अन्त: – बाह्य शक्तियों से आक्रान्त भी होता रहा । अनेक प्रकार के विदेशी आक्रमणकारी यहाँ पर आते रहे । कुछ तो लूट-पाट कर वापिस लौट जाते रहे जबकि अनेक अपना मूल स्वरूप एवं अस्तित्व- व्यक्तित्व भुलाकर घुल-मिलकर यहीं के होकर रह गए ।

बाबर ने यहाँ पर आकर पहले-पहल अपना साम्राज्य स्थापित किया और बाद में उसके वंशज अपने-आप को यहीं का मूल निवासी स्वीकार करने लगे । अतः उन्हें और उनके वंशजों -अनुयाइयों आदि के)- भारतीय सभ्यता-संस्कृति का अंग ही स्वीकार कर लिया गया । बाद में व्यापार और शासन रहरने की इच्छा लेकर फ्राँसीसी, पुर्तगाल और अग्र ज -गरत मैं आए । इनमें उा। पस में तो सता संघर्ष होता हो रहा : रार जुस्त- चालाक अंग्रे -जो ने पहले उन दोनों आ र फिर एक-एक कर के भारतीय शासकों को पराजित कर यहीं के शासनतंत्र पर’ अपना सम्पूर्ण अधिकार जमा लिया और यह अधिकार लगभग सौ वर्षों से भी अधिक समय तक इस देश पर जमा रहा ।


अंग्रेज-साम्राज्य को भारतवर्ष से उखाड़ फेंकने के लिए पहली बार सामूहिक प्रयत्न सन् 1837 में किया गया; पर अपनी ही कई तरह की भूलों और कई तरह के भीतरघाती देश- द्रोहियों के कारण वह प्रयत्न और संघर्ष सफल नहीं हो सका । उसके -बाद अंग्रेज-राज का दमन चक्र अन्याय-अत्याचार और भी बढ़ने लगा । वे कई तरह के कानून बनाकर हम पर बलपूर्वक लादने तो लगे ही, हमारे धार्मिक-संस्कृति एवं व्यक्तिगत जीवन में भी हस्तक्षेप करने लगे । तब देश के बुद्धिजीवी स्वतंत्रता-प्रेमियों ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए सामाजिक- राजनीतिक स्तर पर अनेक प्रकार के प्रयत्न करने आरमा कर दिए ।

प्रयत्न और संघर्ष करने वाली छोटी- बड़ी अनेक संस्थाएँ बनीं, क्रान्ति दल बने, पार्टियाँ और काँग्रेस बनीं । कई प्रकार के आन्दोलन चलाए गए । बदले में अंग्रेजों का दमनचक्र भी वृद्धि पाता गया । अनेक नवयुवकों को काले पानी का दण्ड दिया गया । कइयों को फाँसी हुई । अनेक माँ के सपूतों को जेलों में सड़ा दिया गया । अनेकों को चक्की पीसनी और अन्य कई तरह के कठिन कार्य करने पड़े । लाठियाँ-गोलियाँ सहनी पड़ी । असहयोग और सत्याग्रह करना पड़ा । तब कहीं जाकर देश को स्वतंत्र करा पाना संभव हो सका ।


स्वतंत्रता का यह नव सूर्योदय 15 अगस्त, सन् 1947 को हुआ, इस कारण हर वर्ष यह दिन स्वतंत्रता-दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसे सभी भारतवासी बिना किसी प्रकार के भेद-भाव के अपने-अपने ढंग से प्राय: हर नगर, गाँव, गरनी और कूचे में तो मनाया ही करते हैं; भारत से बाहर भी जहाँ कहीं कोई भारतवासी निवास करता है, भारत के राजदूतावास या सरकारी हाई कमीशन आदि बसे और बने हुए हैं ।

उन सभी स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा, राष्ट्रीयगान गाकर उसे सलामी देकर मनाया जाता है । ऐसा करते समय प्रत्येक छोटा-बड़ा ‘भारतवासी गर्व एवं गौरव की एक विशेष. गरिमा से भर उठा करता है । वास्तव में इस दिन यानि पन्द्रह अगस्त को मनाए जाने वाला स्वतंत्रता-दिवस का पावन राष्ट्रीय पर्व हमारे मन- मस्तिष्क और आत्मा में स्वतंत्रता एवं स्वावलम्बन का एक नया ही आलोक, एक सर्वथा नवीन अनुभूति जगा और भर जाया करता है ।

यही इसका उद्देश्य है । जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, यह पावन राष्ट्रीय पर्व यों तो सारे राष्ट्र में मनाया जाता है; पर सरकारी तौर पर और केन्द्रीय रूप से इसका आयोजन राजधानी दिल्ली-स्थित लाल किले की उन्नत प्राचीर पर किया जाता है । कई दिन पहले से ही चान्दनी चौक की ओर बने किले के मुख्य द्वार के सामने विशिष्ट अतिथियों एवं आम नागरिकों के उत्सव देखने के लिए बैठने के स्थान बनाए जाने लगते हैं ।

सलामी गारद के लिए स्थान और मंच बनाया जाता है । सैनिकों, पुलिसकर्मियों, स्कूली छात्रों के जिन जत्थों ने राष्ट्रध्वज और प्रधानमंत्री को सलामी देनी होती है, उनके स्थान भी निश्चित हो जाते हैं । राष्ट्रीय-गान की योजना बना ली जाती पन्द्रह अगस्त की सुबह प्रधानमंत्री पहले राजघाट आदि समाधियों पर जाकर महात्मा गान्धी आदि राष्ट्रीय नेताओं को, स्वतंत्रता-सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित किया करते हैं । फिर लाल किले के सामने पहुँच सेना के तीनों अंगों तथा अन्य बलों की परेड का निरीक्षण करते हैं ।


उन्हें सलामी दी जाती है और फिर राष्ट्रीय-गान गाया जाता है । इसके बाद क्यय-मान्य व्यक्तियों का अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर पहुँच राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण करते हैं । ध्वज को सैनिकों आदि तथा इक्कीस तोपों की सलामी दी जति है । इसके बाद एक बार फिर से राष्ट्रीय गान गाया जाता है । तदुपरान्त प्रधानमंत्री राष्ट्रीय एवं विदेश-नीतियों को स्पष्ट करने वाला भाषण दिया करते हैं ।

कुछ योजनाएँ घोषित कर उन्हें तथा पूर्व घोषित योजनाएँ प्राण-पण से पूर्ण करने की प्रतिज्ञा दुहराई जाती है । अन्त में तीन बार ‘जय हिन्द’ के उद्‌घोष के साथ यह मुख्य उत्सव सम्पूर्ण हो जाता है । पन्द्रह अगस्त यानि स्वतंन्त्रता-दिवस की रात के समय सरकारी रावनों पर रोशनी करने की परम्परा भी है । प्रधानमंत्री विशिष्ट लोगों के लिए भोज का आयोजन भी किया करते हैं । इस प्रकार पूरी उमंग और उत्साह के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाकर राष्ट्र की स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता की रक्षा का प्रण भी लिया जाता है ।

8. PM narendra modi speech in hindi on independence day 


15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी पृष्ठभूमि के वीरतापूर्ण इतिहास का श्रीगणेश 1775 की प्लासी की लड़ाई से ही प्रारम्भ हो गया था | तत्कालीन परिस्थितियों में अंग्रेजों ने फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाकर भारत में अपने पैर जमा रखे थे | उन्होंने भारतियों को लूटने और उनपर अत्याचार करने में किसी प्रकार की कमी नहीं रखी थी | इन अत्याचारों से स्वतंत्रता पाने की भारतियों की लालशा धीरे – धीरे जोर पकड़ती गयी जिसके परिणामस्वरूप 1857 ई. में यह प्रथम स्वधीनता संग्राम का भीषण रूप लेकर फूट पड़ा |

इस स्वाधीनता संग्राम में झांसी की रानी, तांत्या टोपे, नाना साहब, मंगल पाण्डे, अहमदशाह आदि देश प्रेमियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध डटकर युद्ध किया | किन्तु क्रान्ति समय पूर्व होने के कारण स्वतंत्रता नहीं मिल सकी | लेकिन देशभक्तों ने इससे एक बड़ा सबक लिया कि हमें योजनाबद्ध ढंग से संगठित होकर अंग्रेजों से मुकाबला करना होगा | उन्होंने इस नीति के खिलाफ एकजुट होकर अपनी एकता का परिचय आन्दोलन के रूप में देना प्रारम्भ किया |

1885 ई. में कांग्रेस की स्थापना के साथ एक बार पुनः स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति अहिंसात्मक आन्दोलन के रूप में आरम्भ हो गई | इस स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन से देश की सुषुप्त जनता जाग उठी | कांग्रेस की नीति प्रारंभ में उदार रही | उदारवादी नेताओं में दादाभाई नारौजी, फिरोजशाह, गोखले, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी प्रमुख थे | ये लोग अपनी मांग मनवाने हेतु अंग्रेजों से प्रार्थना करते और अपने शिष्ट मण्डल भेजते |

आगे चलकर कांग्रेस में दो दल बन गए | एक नरम दल और दूसरा गरम दल | गरम दल के नेता बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता के लिए शंखनाद किया कि “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा |” गणेशोत्सव के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में जान फूंक दी और सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में बांध दिया | स्वतंत्रता को पाने  के लिए सहस्त्रों ने अपने को उत्सर्ग कर दिया |


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