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Friday, February 16, 2018

10+ Best Independence Day Essay in Hindi | स्वतंत्रता दिवस निबंध

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1. Independence Day Essay Hindi ( 400 Words ) For Class 8


ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने की वजह से भारत में स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिये एक महत्वपूर्णं दिन है। हम इस दिन को हर साल 15 अगस्त 1947 से मना रहे है। गांधी, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, तिलक और चन्द्रशेखर आजाद जैसे हजारों देशभक्तों की कुर्बानी से स्वतंत्रत हुआ भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में गिना जाता है।



आजादी के इस पर्व को सभी भारतीय अपने-अपने तरीके से मनाते है, जैसे उत्सव की जगह को सजाना, फिल्में देखकर, अपने घरों पर राष्ट्रीय झंडे को लगा कर, राष्ट्रगान और देशभक्ति गीत गाकर, तथा कई सारे सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेकर। राष्ट्रीय गौरव के इस पर्व को भारत सरकार द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया जाता है और उसके बाद इस उत्सव को और खास बनाने के लिये भारतीय सेनाओं द्वारा परेड, विभिन्न राज्यों की झांकियों की प्रस्तुति, और राष्ट्रगान की धुन के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से सराबोर हो उठता है। राज्यों में भी स्वतंत्रता दिवस को इसी उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री मुख्य अतिथी के तौर पर होते है। कुछ लोग सुबह जल्दी ही तैयार होकर प्रधानमंत्री के भाषण का इंतजार करते है। भारतीय स्वतंत्रता इतिहास से प्रभावित होकर कुछ लोग 15 अगस्त के दिन देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्में देखते है साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।




महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन की वजह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को खूब मदद मिली और 200 साल के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। स्वतंत्रता के लिये किये गये कड़े संघर्ष ने उत्प्रेरक का काम किया जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अधिकारों के लिये हर भारतीय को एक साथ किया, चाहे वो किसी भी धर्म, वर्ग, जाति, संस्कृति या परंपरा को मानने वाले हो। यहां तक कि अरुणा आसिफ अली, एनी बेसेंट, कमला नेहरु, सरोजिनी नायडु और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने भी चुल्हा-चौका छोड़कर आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्णं भूमिका अदा की।

2. Independence Day Essay Hindi ( 300 Words ) For Class 9


15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की स्वतंत्रता को याद करने के लिये राष्ट्रीय अवकाश के रुप में इस दिन हर साल भारत के लोगों द्वारा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस दिन, भारत के उन महान नेताओं को श्रदा्ंजलि दी जाती है जिनके नेतृत्व में भारत के लोग सदा के लिये आजाद हुये। 15 अगस्त के दिन को लोग अपने-अपने अंदाज में मनाते है कोई मित्रों और परिवारों के साथ इस दिन को यादगार बनाता है तो कोई देशभक्ति गानों और फिल्मों को देख झूमता है साथ ही कई ऐसे भी होते है जो इस दिन कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर तथा विभिन्न माध्यमों के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के महत्व को प्रचारित-प्रसारित करते है।



15 अगस्त 1947, स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने जिन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय झंडा फहराने के बाद भारतीयों को संम्बोधित किया। इसी प्रथा को आने वाले दूसरे प्रधानमंत्रीयों ने भी आगे बढ़ाया जहां झंडारोहण, परेड, तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हर साल इसी दिन आयोजित होते है। कई लोग इस पर्व को अपने वस्त्रों पर, घर तथा वाहनों पर झंडा लगा कर मनाते है| 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को अपने भाषण “’ट्रिस्ट वीद डेस्टिनी”, के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भारत की आजादी की घोषणा की। साथ ही उन्होंने अपने भाषण में कहा कि, वर्षों की गुलामी के बाद ये वो समय है जब हम अपना संकल्प निभाएंगे और अपने दुर्भाग्य का अंत करेंगे।

भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, परंपरा, और संस्कृति के एक साथ रहते है और स्वतंत्रता दिवस के इस उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन, भारतीय होने के नाते, हमें गर्व करना चाहिये और ये वादा करना चाहिये कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये सदा देशभक्ति से पूर्णं और ईंमानदार रहेंगे।




3. Independence Day Essay Hindi ( 250 Words ) For Teachers


भारत में स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है जब भारतीय ब्रिटिश शासन से अपने राष्ट्र की स्वतंत्रता की लंबी गाथा को याद करते है। ये आजादी मिली ढ़ेरों आंदोलनों और सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों की आहुतियों से। आजादी के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के पहले प्रधानमंत्री बने जिन्होंने दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया।

इस दिन को शिक्षक, विद्यार्थी, अभिवाहक और सभी लोग झंडारोहण के साथ राष्ट्रगान कर मनाते हैं। हमारा तिरंगा झंडा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले पर भी फहराया जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय ध्वज को 21 बंदूकों की सलामी के साथ उस पर हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर सम्मान दिया जाता है। हमारे तिरंगे झंडे में केसरिया हिम्मत और बलिदान को, सफेद रंग शांति औ सच्चाई को तो वहीं हरा रंग विश्वास और शौर्य को प्रदर्शित करता है।


हमारे तिरंगे के मध्य एक अशोक चक्र होता है जिसमें 24 तिलियाँ होती है। इस खास दिन पर हम भगत सिंह, सुखदेब, राजगुरु गांधीजी जैसे उन साहसी पुरुषों के महान बलिदानों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अविस्मरणीय योगदानों के लिये याद करते है। इस दौरान स्कूलों में विद्यार्थी स्वतंत्रता सेनानियों पर व्याख्यान देते हैं तथा परेड में भाग लेते हैं। इस खास मौके को सभी अपनी-अपनी तरह मनाते है,कोई देशभक्ति की फिल्में देखता है तो कोई अपने परिवार और मित्रों के साख बाहर घूमने जाता है साथ ही कुछ लोग स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।

4. Independence Day Essay Hindi ( 200 Words )


भारत में स्वतंत्रता दिवस, सभी धर्म, परंपरा और संस्कृति के लोग पूरी खुशी से एक साथ मनाते हैं। 15 अगस्त 1947 से ही ये हर साल इसी दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन लगभग 200 साल बाद भारत को ब्रिटिश हुकुम़त से आजादी मिली थी।


इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया साथ ही सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय तथा कार्यालय आदि भी बंद रहते है। इसे सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थीयों द्वारा पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। विद्यार्थी इसमें खेल, कला तथा साहित्य के माध्यम से भाग लेते है। इन कार्यक्रमों के आरंभ से पहले मुख्य अतिथि अथवा प्रधानाचार्य द्वारा झंडारोहण किया जाता है जिसमें सभी मिलकर एक साथ बाँसुरी और ड्रम की धुन पर राष्ट्रगान करते है और उसके बाद परेड और विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा इस दिन को खास बनाया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के राजपथ पर भारत सरकार द्वारा इस दिन को एक उत्सव का रुप दिया जाता है जहाँ सभी धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग भारत के प्रधानमंत्री की देशभक्ती से पू्र्ण भाषण सुनते है। इस अवसर पर हम लोग उन सभी महान व्यक्तिव को याद करते है जिनके बलिदान की वजह से हम सभी आजाद भारत में सांस ले रहे हैं।

5. Independence Day Essay Hindi ( 150 Words )


15 अगस्त 1947, भारत की आजादी का दिन और इसलिये इस खास दिन को एक उत्सव की तरह हर साल भारत में स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाता है जिसमें भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर झंडा फहराया जाता है तथा लाखों लोग स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होते है।

लाल किले पर उत्सव के दौरान, झंडारोहण और राष्ट्रगान के बाद प्रधानमंत्री द्वारा भाषण दिया जाता है जिसके बाद तीनों भारतीय सेनाओं द्वारा अपनी ताकत का प्रदर्शन किया जाता है साथ ही कई सारे रंगारंग कार्यक्रम प्रदर्शित किये जाते हैं जैसे-भारत के राज्यों द्वारा झाकिंयों के माध्यम से अपनी कला और संस्कति की प्रस्तुति, स्कूली बच्चों द्वारा सांस्कतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन करना आदि।
इस खास अवसर पर हम भारत के उन महान हस्तियों को याद करते है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्णं योगदान दिया। साथ ही यह उत्सव देश के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों तथा अन्य स्थलों पर भी पूरे हर्षोंल्लास के साथ मनाया जाता है।


6. Independence Day Essay Hindi ( 100 Words )


15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपू्र्णं दिन था, जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आजादी हासिल की। भारत की आजदी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरु के रुप में किया जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पहली बार फहराया। आज हर भारतीय इस खास दिन को एक उत्सव की तरह मनाता है।

7. Best Essay On Independence Day in Hindi for Class 5 


15 अगस्त 1947 को भारत परतंत्रता के अन्धेरे से निकलकर स्वतंत्रता के प्रकाश में आया था । देश को स्वतंत्र कराना जितना कठिन कार्य है, उतना ही कविन कार्य उस स्वतंत्रता की रक्षा करना है ।

देश की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति और पं॰ जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनाए गए । सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश को जयचन्द और मीर जाफर जैसे लोगों ने अपनी आपसी फूट के कारण गुलाम बनवा दिया । इस देश का वैभव, संस्कृति, ज्ञान, धर्म, दर्शन पहले मुसलमानों की और बाद में अंग्रेजों की भेंट चढ़ गए ।


स्वतंत्रता प्राप्ति की पहली चिंगारी 1857 में लगी थी । खुदीराम बोस, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू ने इस चिंगारी को अपने प्रभावशाली भाषणों से इतनी हवा दी कि यह चिंगारी प्रत्येक भारतीय के हृदय में जल उठी और शोला बनकर अंग्रेंजों पर गिरी । 15 अगस्त 1945 को देश दो भागों में बंटकर स्वतंत्र हो गया ।

इस स्वतंत्रता आन्दोलन में महारानी लक्ष्मीबाई और सरोजिनी नायडू जैसी नारियाँ भी अपना सहयोग देने में पीछे नहीं रहीं । हर वर्ष 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है । मुख्य समारोह लाल किले पर होता है । प्रधानमंत्री के वहाँ पहुँचने पर तीनों सेना के मुख्याध्यक्ष उन्हें सलामी देते हैं ।

प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगे को फहराते हैं । ध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है । प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश में देश की उन्नति और भविष्य की योजनाओं के बारे में राष्ट्र को बताते हैं । इस अवसर पर देश के गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त विदेशी अतिथि भी होते हैं ।


भाषण की समाप्ति पर तीन बार ‘जय हिन्द’ के उद्‌घोष के साथ राष्ट्रीय गान गाया जाता है और कार्यक्रम समाप्त हो जाता है । 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रहता है । इस दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान बंद रहते हैं । इसलिए स्कूलों और महाविद्यालयों में एक दिन पहले ध्वजारोहण होता है और प्राचार्य भाषण देते हैं ।

राज्यों के मुख्य मंत्री ध्वजारोहण करते हैं और भाषण देते हैं । प्रधानमंत्री देश के गणमान्य व्यक्तियों, सेना के मुख्य अधिकारियों को और विदेशी अतिथितियों को रात्रि भोजन पर आमन्त्रित करते हैं । रात को सरकारी इमारतों पर रोशनी की जाती है । जिसकी शोभा देखते ही बनती है ।

15 अगस्त का कार्यक्रम सीधा रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित किया जाता है । इसके पश्चात् राष्ट-भक्ति गीत, कविताएं और नाटक प्रसारित किए जाते हैं । भारतीयों और विदेशियों में अध्यात्म ज्ञान की ज्योति जलाने वाले ‘अरविन्द घोष’ का जन्म दिन भी 15 अगस्त है ।


भारतीयों के लिए यह दिन असाधारण है, जो हमें यह सोचने पर बाध्य करता है कि अपने भविष्य को बनाने के लिए हम अपनी पुरानी गलतियों को न दुहराएं और देश की एकता और अखण्डता की हर कीमत पर रक्षा करें । तभी हम गर्व के साथ इकबाल के शब्दों में कह सकेंगे ।

यूनान मिस्त्र रोमाँ, सब मिट गए जहां से । कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।

8. Short Essay on independence Day in Hindi Language


हमारे राष्ट्रीय त्योहारों में स्वाधीनता दिवस पन्द्रह अगस्त का विशेष महत्त्व है । इसका महत्त्व सभी राष्ट्रीय त्योहारों में इसलिए सर्वाधिक है कि इसी दिन हमें शताब्दियों-शताब्दियों की गुलामी की वेणी से मुक्ति मिली थी । इसी दिन हमने आजाद होकर अपने समाज और राष्ट्र को सम्भाला था ।


स्वाधीनता दिवस या स्वतन्त्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम इसी दिन आजाद हुए थे । सन् 1947 को 15 अगस्त के दिन जिस अंग्रेजी राज्य का कभी भी सूरज नहीं डूबता था, उसी ने हमें हमारा देश सौंप दिया । हम क्यों और कैसे स्वतंत्र हुए, इसका एक सादा इतिहास है । इस देश की आजादी के लिए बार-बार देशभक्तों ने अपने प्राणों की बाजी लगाने में तनिक देर नहीं की ।

स्वतन्त्रता का पूर्ण श्रेय गाँधीजी को ही मिलता है । अहिंसा और शान्ति के शस्त्र से लड़ने वाले गाँधी ने अंग्रेजों को भारत-भूमि छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया । उन्होंने बिना रक्तपात के क्रान्ति ला दी । गाँधी जी के नेतृत्व में पं. जवाहरलाल नेहरू सरीखे भी इस क्रान्ति में कूद पड़े । सुभाष चन्द्र बोस ने कहा था, ”तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा ।”

इस प्रकार जनता भी स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए  व्याकुल हो उठी । गाँधीजी द्वारा चलाए गये आन्दोलनों से लोगों ने अंग्रेज सरकार का बहिष्कार कर दिया । उन्होंने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दीं, जेल गए और मृत्यु को हँसते-हँसते गले लगा लिया । अन्त में खून रंग ले ही आया ।


लेकिन दुर्भाग्य का वह दिन भी आ गया । भारत की दुर्भाग्यलीपि ने भारत के ललाट पर इसकी विभाजक रेखा खींच दी । यथाशीघ्र देश का विभाजन हो गया । हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के नाम से भारत महान बंटकर दो भागों में विभाजित हो गया ।

धीरे-धीरे देश का रूप-रंग बदलता गया और आज स्थिति यह है कि अब भी भारत का पूर्णत्व रूप दिखाई नहीं पड़ता है । बलिदान, त्याग आदि को याद रखने के लिए प्रत्येक वर्ष स्वतन्त्रता दिवस (पन्द्रह अगस्त) को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है ।

देश के प्रत्येक नगरों में तिरंगे झण्डे को लहराया जाता है । अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । भारत की राजधानी दिल्ली, जहाँ स्वतन्त्रता संग्राम लड़ा गया, स्वतन्त्रता प्राप्ति पर पन्द्रह अगस्त को ऐतिहासिक स्थल लाल किले पर स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा झण्डा लहराया था ।


इसी भाँति लाल किले पर प्रत्येक वर्ष झण्डा फहराया जाता है । लाखों नर-नारी इस उत्सव में भाग लेते हैं । प्रधानमन्त्री झण्डा फहराने के पश्चात् भाषण देते हैं और स्वतन्त्रता को कायम रखने का सब मिलकर प्रण करते हैं । भारत की राजधानी दिल्ली में यह उत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है ।

इस दिन लाल किले के विशाल मैदान में बाल-वृद्ध नर-नारी एकत्रित होते हैं । देश के बड़े-बड़े नेता व राजनयिक अपने-अपने स्थानों पर विराजमान रहते हैं । प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं । राष्ट्रीय ध्वज को 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।

इसके बाद प्रधान मंत्री देश के नाम अपना संदेश देते हैं । इसमें वे राष्ट्र की प्रगति पर प्रकाश डालते हैं और आगे के कार्यक्रम बताते हैं । यह भाषण रेडियो और दूरदर्शन द्वारा सारे देश में प्रसारित किया जाता

है । जय हिन्द के नारे के साथ यह स्वतन्त्रता दिवस समारोह समाप्त होता है । रात्रि में जगह-जगह पर रोशनी होती है । सबसे अच्छी रोशनी संसद भवन और राष्ट्रपति-भवन पर की जाती है ।

स्वाधीनता दिवस के शुभ अवसर पर दुकानों और राजमार्गों की शोभा बहुत बढ़ जाती है । जगह-जगह सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिससे अत्यन्त प्रसन्नता का सुखद वातावरण फैल जाता है । सभी प्रकार से खुशियों की ही तरंगे उठती-बढ़ती दिखाई देती हैं ।


स्वाधीनता दिवस के शुभावसर पर चारों ओर सब में एक विचित्र स्फूर्ति और चेतना का उदय हो जाता है । राष्ट्रीय विचारों वाले व्यक्ति इस दिन अपनी किसी वस्तु या संस्थान का उद्‌घाटन कराना बहुत सुखद और शुभदायक मानते हैं । विद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन और संचालन देखने-सुनने को मिलता है ।

प्रातःकाल सभी विद्यालयों में राष्ट्रीय झण्डा फहराया जाता है और ‘जन गण मन अधिनायक जय हे भारत-भाग्य विधाता’ राष्ट्रीय गान गाया जाता है । कहीं-कहीं इन बाल-सभाओं में मिष्ठान वितरण भी किया जाता है ।

ग्रामीण अंचलों में भी इस राष्ट्रीय पर्व की रूप-रेखा की झलक बहुत ही आकर्षक होती है । सभी प्रबुद्ध और जागरूक नागरिक इस पर्व को खूब उत्साह और उल्लास के साथ मनाते हैं । बच्चे तो इस दिन बहुत ही प्रसन्न होते हैं । वे इसे सचमुच में खाने-पीने और खुशी मनाने का दिन समझते हैं ।

हमें चाहिए कि इस पावन और अत्यन्त महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय त्योहार के शुभावसर पर अपने राष्ट्र के अमर शहीदों के प्रति हार्दिक श्रद्धा भावनाओं को प्रकट करते हुए-उनकी नीतियों और सिद्धान्तों को अपने जीवन में उतारने का सत्संकल्प लेकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम उठाएं । इससे हमारे राष्ट्र की स्वाधीनता निरन्तर सुदृढ़ रूप में लौह-स्तम्भ-सी अडिग और शक्तिशाली बनी रहेगी ।

9. Independence Day Essay in Hindi for Kids 


स्वतंत्रता दिवस को देश की स्वतन्त्रता का जन्म दिवस भी कह सकते हैं । क्योंकि इसी दिन देश को गुलामी से मुक्ति मिली थी । 1947 से पूर्व लगभग दो सौ वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत में राज्य किया । जबकि भारत आदि काल से हिन्दू भूमि रहा है ।

अंग्रेजों से पूर्व करीब बारह सौ वर्षों तक मुगलों ने भारत पर शासन किया । इसके बाद कूटनीति में माहिर अंग्रेजों ने विलासी, भोगी और सत्ता पाने के लिए पारिवारिक षड्‌यंत्रों में उलझे रहे मुगलों को खदेड़ कर अपना शासन भारत में स्थापित किया ।

इनके काल में वैज्ञानिक उन्नति से देश प्रगति पर अग्रसर हुआ । उन्होंने अपनी कूटनीति के चलते भारत से श्रीलंका और बर्मा को अलग कर उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया । बंगाल को भी वे दो भागों में विभाजित करने के प्रयास में थे ।


पर जनमत विरोध के कारण इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली । इसी दिन दिल्ली के लालकिले पर पहली बार यूनियन जैक के स्थान पर सत्य और अहिंसा का प्रतीक तिरंगा झंडा लहराया गया था । यह राष्ट्रीय पर्व प्रतिवर्ष प्रत्येक नगर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है । विद्यालयों में छात्र अपने इस ऐतिहासिक उत्सव को बड़े उल्लास और उत्साह के साथ आयोजित करते हैं ।

हमारे स्कूल में भी अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष यह उत्सव बहुत ही उत्साह के साथ मनाया गया । स्कूल के सभी छात्र स्कूल के प्रांगण में एकत्रित हुए । यहाँ अध्यापकों ने उपस्थिति ली, जिससे यह मालूम हो गया कि कौन-कौन नहीं आया है । हालांकि कार्यक्रम शुरू होने के बाद भी विद्यार्थियों का आना जारी था ।

उपस्थिति पूर्ण होने के बाद मंच का संचालन कर रहे शिक्षक ने उन छात्रों से आगे आने को कहा जिन्हें कार्यक्रम के लिए चुना गया था । शिक्षक की इस उदघोषणा के बाद कार्यक्रम के लिए चयनित छात्र अन्य छात्रों से अलग हो चुके थे ।

इसके बाद प्रधानाचार्य ने प्रभात फेरी में चलने के लिए विद्यार्थियों को संकेत दिया । स्कूल के छात्र तीन-तीन की पंक्ति बनाकर सड़क पर चलने लगे । सबसे आगे चल रहे विद्यार्थी के हाथ में तिरंगा झण्डा था, उसके पीछे विद्यार्थी तीन-तीन की पंक्तियों में चल रहे थे । सभी छात्र देशभक्ति से ओत-प्रोत गीत गाते हुए जा रहे थे ।

बीच-बीच में अचानक वे ‘भारत माता की जय’, हिन्दुतान जिन्दाबाद-जिन्दाबाद के नारे बुलन्द आवाज में लगा रहे थे । इस प्रकार प्रभात फेरी नगर के प्रमुख चौराहों से होते हुए जिलाधीश के आवास के सामने से निकली । अन्त में प्रभात फेरी स्कूल परिसर में आकर रुकी । जहां ध्वजारोहण की तैयारियां पूरी हो चुकी थी ।

ठीक आठ बजे स्कूल के प्रधानाचार्य ने ध्वजारोहण किया और उपस्थित सभी छात्रों ने तिरंगे को सलामी दी । इस अवसर पर राज्य के शिक्षामन्त्री तथा शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजे गये संदेश पढ़कर सुनाए गये । इसके बाद शुरू हुए खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रम । सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत जलियांवाला बाग पर आधारित एक नाटक का मंचन किया गया ।

इसके अलावा कुछ छात्रों ने देश भक्ति से ओत-प्रोत अपनी रचनाए सुनाईं । कार्यक्रम के अंत में विभिन्न क्षेत्रों में अव्वल रहे छात्रों को क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी व स्वतंत्रता सेनानी श्री जसवंत सिंह ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया । और छात्रों के मध्य मिष्ठान वितरण हुआ ।

राष्ट्रीय स्तर पर इस पर्व का मुख्य आयोजन दिल्ली के लाल किले में होता है । इस समारोह को देखने के लिए भारी जनसमूह उमड़ पड़ता है । लाल किला मैदान व सड़कें जनता से खचाखच भरी होती है । यहां प्रधानमंत्री के आगमन के साथ ही समारोह का शुभारम्भ हो जाता है ।

सेना के तीनों अंगों जल, थल और नौसेना की टुकड़ियां तथा एन.सी.सी. के कैडिट सलामी देकर प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं । प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर बने मंच पर पहुंच कर जनता का अभिनन्दन स्वीकार करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज लहराते हैं । ध्वजारोहण के समय राष्ट्र ध्वज को सेना द्वारा इक्कत्तीस तोपों की सलामी दी जाती है ।

इसके बाद प्रधानमंत्री राष्ट्र की जनता को बधाई देने के बाद देश की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हैं । साथ ही पिछले वर्ष पन्द्रह अगस्त से इस वर्ष तक की काल में घटित प्रमुख घटनाओं पर चर्चा करते

हैं । भाषण के अंत में तीन बार वे जय हिन्द का घोष करते हैं । जिसे वहां उपस्थित जनसमूह बुलन्द आवाज में दोहराता है । लाल किले पर इस अवसर पर रोशनी की जाती है ।

10. 15 august Swatantrata Diwas in Hindi Essay For Class 7


पराधीन स्वपनेहु सुख नाहीं की उक्ति प्राणी मात्र पर लागू होती है । पशु-पक्षी आदि प्राणी भी स्वाभाविक रूप से सदैव स्वतंत्र रहकर जीवनयापन करना चाहते हैं । फिर मनुष्य तो सभी प्राणियों में श्रेष्ठ है । वह दूसरे के आधीन रहकर जीवनयापन नहीं कर सकता है ।

पराधीनता के बाद जब किसी को भी स्वतत्रता मिलती है तो उसके आनन्द व हर्ष की कोई सीमा नही होती है । सैकड़ों वर्ष पराधीन रहने के बाद 15 अगस्त, 1947 ई॰ को जब भारत स्वतत्र हुआ, उस समय यहाँ की जनता, नर-नारी, बाल-वृद्ध सभी हर्ष-विभोर हो उठे । तभी से प्रति वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है ।

स्वतंत्रता आन्दोलन:
प्रारम्भ से ही समय-समय पर स्वतंत्रता के लिये संघर्ष होते रहे, लेकिन वे प्रयास पूर्ण सफल नहीं हो पाये । 1857 ई॰ में हुए आन्दोलन को प्रथम स्वतत्रता संग्राम कहा जाता है । इसमे महारानी लक्ष्मी बाई, नाना साहब, तांत्य टोपे, बहादुर शाह जफर, मगल पाण्डे आदि का त्याग व बलिदान उल्लेखनीय है ।

उसके बाद 1885 ई॰ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गयी । इस संगठन के माध्यम से लक्ष्य प्राप्ति तक निरंतर संघर्ष चलता रहा जिसमे अनेक भारतीय सपूतो के त्याग, तपस्या व बलिदान की अमर कथाएँ जुड़ी हैं ।

इस देश को स्वतंत्र कराने के लिये जहाँ एक ओर महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अहिंसात्मक शान्ति पूर्ण आन्दोलन चल रहा था वही दूसरी ओर वीर भगतसिंह, चन्द्रशेखर आजाद, शहीद राम प्रसाद विस्मिल, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, आत्म बलिदान द्वारा क्रान्ति का संचालन कर रहे थे जिसमें भारत माँ के अनेक सपूत शहीद हुए । उक्त दोनों नरम दल व गरम दल के अथक प्रयासों से ही हमें सैकड़ों वर्षो के बाद स्वतंत्रता मिली ।

लक्ष्य प्राप्ति व राष्ट्रीय पर्व:
वर्षों की ठण्डी व गरम लड़ाई के बाद 15 अगस्त, 1947 ई॰ को हम स्वतंत्र हो गये । प्रथम स्वतंत्रता दिवस हमने उन स्वतंत्रता सेनानियो के साथ मनाया जिन्होने देश को स्वतत्र कराने के लिये अभूतपूर्व त्याग किया था । उस दिन हमारे स्वतंत्र भारत, हमारे वर्तमान भारत, हमारे नये भारत का जन्म हुआ था । उसी जन्म-दिवस को हम प्रति वर्ष मनाते आ रहे हैं ।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर: स्वतंत्रता दिवस की पूर्व सध्या पर अर्थात् 14 अगस्त की रात्रि को देश का राष्ट्रपति देश के नाम अपना संदेश प्रसारित करता है जिसको सचार मा ध्यमो से सर्वत्र प्रसारित किया जाता है । अपने संदेश में वह सरकार की उपलब्धियो व भावी जन-आशाओ व आकांक्षाओं पर प्रकाश डालता है । जनता अपने राष्ट्रपति के सदेश को बड़े ध्यान से सुनती है ।

स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की परम्परा:
भारत सरकार प्रति वर्ष इस पावन पर्व को देश की राजधानी दिल्ली मे बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाती है । उसकी तैयारी राष्ट्रीय स्तर पर कई दिन पहले से ही आरम्भ हो जाती है । 15 अगस्त को प्रात: लगभग 7 बजे देश के प्रधानमत्री दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं ।

गगन भेदी तोपो की गूँज के साथ इस पावन पर्व का शुभारम्भ होने के पश्चात् वे देश के नाम सन्देश देते हैं जिसको आकाशवाणी व दूरदर्शन के सभी केन्द्रो द्वारा प्रसारित किया जाता है । अपने सन्देश में प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के महत्त्व को बताते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियो व नीतियों पर प्रकाश डालते हैं ।

दिल्ली के विद्यालयो में:
चूकि इस पर्व को 15 अगस्त के दिन दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है इस कारण दिल्ली के विद्यालयो मे इसको एक दिन पूर्व अर्थात् 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व पावन बेला को, बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।

सभी छात्र विद्यालय में बड़े उल्लास के साथ इस पर्व में सम्मिलित होते हैं । सर्वप्रथम विद्यालय के प्रधानाचार्य राष्ट्रीय गीत के साथ ध्वजारोहण करते हैं, फिर छात्रों की ओर से विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है ।

कई छात्र देश-भक्ति के गीत गाते हैं, कई व्याख्यान देते हैं और कई विभिन्न प्रकार के नाटक व प्रहसन प्रस्तुत करते हैं । फिर खेल-कूद का आयोजन होता है । अन्त में पुरस्कार वितरण करके राष्ट्रीय गीत के साथ कार्यक्रम का समापन किया जाता है ।

स्वदेश व विदेश में:
देश की प्रान्तीय राजधानियों में राज्यपाल व मुख्यमंत्री ध्वजारोहण के साथ इस कार्यक्रम का शुभारम्भ करते है । सभी सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों व कालेजों में वहाँ के मुखियों द्वारा ध्वाजारोहण किया जाता है। विदेशों में भी यह पर्व बड़े उल्लास से मनाया जाता है ।

प्रत्येक देश में भारत के आवासों में ध्वजारोहण के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया जाता है । प्रत्येक देश के शासनाध्यक्ष भारत को बधाई संदेश भेजते हैं ।

उपसंहार:
हमारा यह राष्ट्रीय पर्व धर्म-निरपेक्ष राष्ट्रीय भावना से मनाया जाता है । यह देश के सभी धर्मो, जातियों, सम्प्रदायों एवम् क्षेत्रों के लोगो द्वारा हार्दिक प्रसन्नता के साथ मनाया जाता है । इसमें किसी प्रकार की भेद भावना निहित नही है ।

हम इस पावन पर्व को सदैव युगों-युगो तक मनाते रहें यही हमारी कामना है । देश की रक्षा के लिये समस्त देशवासियो को निहित स्वार्थ को त्याग कर सदैव कटिबद्ध रहना चाहिये । जय हिन्द !

11. Long Essay on Independence Day in Hindi For Class 6 


15 अगस्त भारतवर्ष का एक राष्ट्रीय त्यौहार है । 15 अगस्त, 1947 का दिन भारत देश के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से लिखा गया है । इस शुभ दिन हमारा देश सैकड़ों वर्षों की अंग्रेजी पराधीनता से स्वतंत्र हुआ था । तभी से भारत के करोड़ों नागरिक इस त्यौहार को ‘स्वतंत्रता-दिवस’ के रूप में बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं ।

इस अवसर पर सभी विद्यालय, कार्यालय, कारखाने, संस्थान और बाजार बन्द रहते हैं । इस दिन प्रत्येक वर्ष भारतवर्ष की राजधानी दिल्ली में लालकिले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं तथा देशवासियों के नाम सन्देश देते हैं । राष्ट्रीय ध्वज को 21 तोपों की सलामी दी जाती है, तत्पश्चात् राष्ट्रगान होता है ।

स्वतंत्रता तथा समृद्धि का प्रतीक यह दिवस भारत के कोने-कोने में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है । 15 अगस्त की सुबह राष्ट्रीय स्तर के नेतागण पहले राजघाट आदि समाधियों पर जाकर महात्मा गांधी आदि राष्ट्रीय नेताओं तथा स्वतंत्रता-सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं फिर लाल किले के सामने पहुंच कर सेना के तीनों अंगों (वायु, जल व स्थल सेना) तथा अन्य बलों की परेड का निरीक्षण करते हैं तथा उन्हें सलामी देते हैं ।

15 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है तथा सभी लोग अपने घरों व दुकानों पर राष्ट्रीय-ध्वज फहराते हैं । इस दिन रात्रि के समय सरकारी कार्यालयों व अनेक विशेष स्थानों पर विद्युत-प्रकाश किया जाता है ।

इसकी सुन्दरता के कारण भारत की राजधानी दिल्ली एक नव वधू सी लगने लगती है । सभी स्कूलों व कॉलेजों में यह पर्व एक दिन पूर्व अर्थात् 14 अगस्त को ही मना लिया जाता है । इस दिन स्कूलों में बच्चों को फल, मिठाइयां आदि वितरित की जाती हैं ।

15 अगस्त भारत के गौरव व सौभाग्य का पर्व है । यह पर्व हम सभी के हृदयों में नवीन स्कूर्ति, नवीन आशा, उत्साह तथा देश-भक्ति का संचार करता है । यह स्वतंत्रता-दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि इतनी कुर्बानियां देकर जो आजादी हमने प्राप्त की है, उसकी रक्षा हमें हर कीमत पर करनी है ।

चाहे हमें उसके लिए अपने प्राणों की आहुति ही क्यों न देनी पड़े । इस प्रकार पूरी उमंग और उत्साह के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाकर हम राष्ट्र की स्वतंत्रता तथा सार्वभौमिकता की रक्षा का प्रण लेते हैं ।


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