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Sunday, July 14, 2013

Hindi Shayari - हिंदी शायरी (भाग - 164)

(1) अश्कों से नहीं बुझते शोले दर्द-ए-प्यार के,
मौत भली इस लम्बे इंतजार से,
मरते हैं रोज बिना दीदार-ए-यार के,
तन्हाई अच्छी थी उस बेवफा के प्यार के। 

(2) उनके लिए जब हमने भटकना छोड़ दिया,
याद में उनकी जब तरपना छोड़ दिया,
वो रोये बहुत आकर तब मेरे  पास,
जब हमारे दिल ने धड़कना छोड़ दिया। 

(3) अगर खुश हैं वो देख कर अश्क मेरी आँखों में,
खुदा की कसम हम हँसना छोर देंगे,
तड़पते रहेंगे उन्हें देखने को,
पर उनकी तरफ पलके उठाना छोर देंगे।

(4) क्यूँ दिल के करीब आ जाता हैं कोई,
क्यूँ दिल के एहसास को छू जाता हैं कोई,
जब आदत सी हो जाता हैं दिल को उसकी,
क्यूँ इतनी दूर चला जाता हैं कोई ?

(5) कहाँ कोई मिला जिस पर दिल लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया किस - किस को भुला देते,
रखते हैं दिल में छुपा के अपना दर्द .....
करते बया तो सारा महफिल को रुला देते।

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