(१) दिल की दहलीज़ पर दस्तक अब न दे !
कोई नया ज़ख्म नया फरेब अब न दे !!
बेवफ़ा थे तो क्यों गए थे रूठ के....
तू बेवफ़ा हैं वफ़ा का भरम अब न दे !!
(२) चाहते थे उन्हें पर इज़हार न कर सके !
कट गई उम्र हम एकरार न कर सके !!
हमारी भी ये कैसी मज़बूरी थी.....
ज़ुबान तो थी पर इस्तेमाल न कर सके !!
(३) इंसान के कंधे पर इंसान जा रहा हैं !
कपड़े में लिपटा कुछ सामान जा रहा हैं !!
उसे मिली बेवफ़ाई प्यार में...
अब प्यार की तलास में शमशान जा रहा हैं !!
(४) दिल की किताब इस तरह बनाई हैं !
हर पन्नो पर आपकी याद समाई हैं !!
कही फट न जाए एक भी पन्ना....
इसलिए हर पन्ने पर दोस्ती की लेमिनेसन कराई हैं !!
(५) दोस्ती कोई खोज नहीं होती !
दोस्ती हर किसी से रोज नहीं होती !!
अपनी जिंदगी में मेरी मौजूदगी बेवजह समझना !
क्योंकि पलकें कभी आँखों पे बोझ नहीं होती !!
Friday, March 25, 2011
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