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Monday, March 19, 2018

10 Best Mahatma Gandhi Jayanti Speech in Hindi

Mahatma Gandhi Jayanti Par Bhashan : Read Best Collection Of Speech On Mahatma Gandhi Jayanti 2018 For School Teachers And Students.

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1. Mahatma gandhi speech in hindi language


सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों को मैं प्यार भरा नमस्कार कहना चाहूँगा। मेरा नाम अनन्त है, मैं कक्षा 6 में पढ़ता हूँ। गाँधी जयंती के इस महान अवसर पर मैं भाषण देना चाहूँगा। हालाँकि, सबसे पहले मैं अपने क्लास टीचर को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने इस राष्ट्रीय अवसर पर मुझे ये मौका प्रदान किया। मेरे प्यारे दोस्तों, हमलोग यहाँ गाँधी जयंती मनाने के लिये जुटे है (2 अक्टूबर अर्थात् महात्मा गाँधी का जन्म दिन)। ये एक शुभ अवसर है जो हमें देश के एक महान देशभक्त नेता को श्रद्धांजलि देने का मौका उपलब्ध कराता है। ये पूरे विश्व भर में राष्ट्रीय (गाँधी जयंती के रुप में) और अंतरराष्ट्रीय स्तर (अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस) पर मनाया जाता है।



आज, गाँधी जयंती के अवसर पर, मैं राष्ट्रपिता के जीवन इतिहास पर ध्यान दिलाना चाहूँगा, महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके अभिवावक का नाम करमचन्द गाँधी और पुतलीबाई था। प्राथमिक और 12वीं पास करने के बाद कानून की डिग्री लेने के लिये बापू 1888 में इंग्लैंड चले गये। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1915 में वह भारत लौटे और भारत की आजादी के आंदोलन में भाग लेना शुरु किया। जब एक बार वह दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद के पीड़ित बने जो उनकी आत्मा को बुरी तरह प्रभावित किया तब से नस्लवाद की सामाजिक बुराई का वह विरोध करना शुरु कर दिये।




भारत लौटने के बाद वो गोपाल कृष्ण गोखले से मिले और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिये भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के आंदोलन से जुड़ गये। भारत की आजादी की प्राप्ति के लिये उन्होंने विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन। वो एक महान देशभक्त नेता थे जिनके लगातार प्रयास की वजह से 1947 में अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। हम उनको श्रद्धांजलि देने के लिये उनका जन्म दिन मनाते है और हमें आजाद भारत देने के लिये धन्यवाद देते है।



जय हिन्द जय भारत

धन्यवाद

2. Gandhi ji ka bhashan in hindi


सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों को मैं प्यार भरा नमस्कार कहना चाहूँगा। मेरा नाम नवीन त्यागी है, मैं कक्षा 8 में पढ़ता हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, महात्मा गाँधी के जन्म दिवस, 2 अक्टूबर के इस शुभ अवसर को मनाने के लिये हम सब यहाँ इकट्ठे हुए हैं। इस दिन पर, भारत के राष्ट्रपिता का जन्म 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। ये उत्सव हमारे लिये बहुत मायने रखता है। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है, हालाँकि ये राष्ट्रपिता, गाँधीजी और बापू के नाम से भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। गाँधी जयंती के रुप में देश में बापू के जन्म दिवस को मनाया जाता है जबकि पूरे विश्व में इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है।




बापू का जन्म देश के बहुत छोटे शहर में हुआ था हालाँकि उनके कार्य बहुत महान थे जिसको पूरे विश्व में फैलने से कोई नहीं रोक सका। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो ब्रिटिश शासन से अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में भरोसा रखते थे। वह अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे, उनके अनुसार ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्त करने का यही एकमात्र असरदार तरीका है। बापू एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में अपना पूरा जीवन दे दिया।

भारतियों के असली दर्द को महसूस करने के बाद, उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले के साथ कई सारे आंदोलनों में भाग लेना शुरु कर दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन वे अभियान है जो उन्होंने भारत की आजादी के लिये चलाये थे। वह कई बार जेल गये लेकिन कभी अपना धैर्य नहीं खोया और शांतिपूर्वक अपनी लड़ाई को जारी रखा। बापू का पूरा जीवन(वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिये) देशभक्ति, समर्पण, अहिंसा, सादगी और दृढ़ता का आदर्श उदाहरण है। भारतीय लोगों द्वारा हर साल ढ़ेर सारी तैयारियों के साथ गाँधी जयंती मनायी जाती है। इस उत्सव को मनाने का उद्देश्य बापू को श्रद्धाजलि देने के साथ ही ब्रिटिश शासन से आजादी पाने में बापू द्वारा किये गये संघर्ष के बारे में भावी पीढ़ी को बताना है। ये हमें अपनी मातृभूमि के लिये हर समय खुली आँखों से सचेत रहने के लिये सिखाता है। मैं आप सबसे महात्मा गाँधी द्वारा कहा गया एक महान कथन बाँटना चाहूँगा।

“मेरा जीवन मेरा संदेश है, और दुनिया में जो बदलाव तुम देखना चाहते हो वह तुम्हें खुद में लाना पड़ेगा”।

जय हिन्द जय भारत


3. Mahatma gandhi speech in hindi pdf


सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुबह का नमस्कार। मेरा नाम राहुल है, मैं कक्षा 7 में पढ़ता हूँ। मैं गाँधी जयंती के अवसर पर एक भाषण देना चाहूँगा। सबसे पहले मैं अपने क्लासटीचर को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने इतने महान अवसर पर भाषण देने के लिये मुझे मौका दिया। जैसा कि हम सभी जानते है कि हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गाँधी का जन्मदिन मनाने के लिये हम सब इकट्ठा होते हैं। मेरे प्यारे दोस्तों, गाँधी जयंती केवल अपने देश में ही नहीं मनाया जाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में पूरे विश्व भर में मनाया जाता है क्योंकि वह अपने पूरे जीवनभर अहिंसा के एक पथ-प्रदर्शक थे।

उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है हालाँकि वह बापू और राष्ट्रपिता तथा महात्मा गाँधी के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन पर, नयी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गाँधी को उनके समाधि स्थल पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के द्वारा प्रार्थना, फूल, भजन आदि के द्वारा श्रद्धाजलि अर्पित की जाती है। गाँधी जयंती भारत के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में गाँधी को याद करने के लिये मनायी जाती है जिन्होंने हमेशा सभी धर्मों और समुदायों को एक नजर से सम्मान दिया। इस दिन पर पवित्र धार्मिक किताबों से दोहा और प्रार्थना पढ़ा जाता है खासतौर से उनका सबसे प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम”। देश में राज्यों के राजधानियों में प्रार्थना सभाएँ रखी जाती है। जैसा कि भारत सरकार के द्वारा इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में, सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय आदि पूरे देश में बंद रहते हैं।

महात्मा गाँधी एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी को प्राप्त करने में बहुत संघर्ष किया और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के लिये आजादी प्राप्त करने के अहिंसा के अनोखे तरीके के केवल पथ-प्रदर्शक ही नहीं थे बल्कि उन्होंने दुनिया को साबित किया कि अहिंसा के पथ पर चलकर शांतिपूर्ण तरीके से भी आजादी पायी जा सकती है। वह आज भी हमारे बीच शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद किये जाते हैं।

जय हिन्द

धन्यवाद

4. Gandhi jayanti speech in hindi 


सभी माननीयों, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुबह का नमस्कार। जैसा कि हम सभी जानते है कि हम सब यहाँ एक प्यारा उत्सव मनाने जुटे हैं जो गाँधी जयंती कहलाता है, इस अवसर पर मैं आप सब के सामने एक भाषण देना चाहता हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी का जन्मदिन है। राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष पूरे उत्साह के साथ हम इस दिन को मनाते है साथ ही साथ अंग्रेजी शासन से देश के लिये स्वतंत्रता संघर्ष के रास्ते में उनके हिम्मतपूर्णं कार्यों को याद करते हैं। पूरे भारत में एक बड़े राष्ट्रीय अवकाश के रुप में हमलोग गाँधी जयंती मनाते हैं। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है और वो बापू तथा राष्ट्रपिता के नाम से भी प्रसिद्ध है।

2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि अपने पूरे जीवन भर वह अहिंसा के उपदेशक रहे। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्ररीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया है। हमलोग हमेशा बापू को शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद करेंगे। बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था जबकि उन्होंने अपने पूरे जीवनभर बड़े-बड़े कार्य किये। वह एक वकील थे और उन्होंने अपनी कानून की डिग्री इंग्लैंड से ली और वकालत दक्षिण अफ्रीका में किया। “सच के साथ प्रयोग” के नाम से अपनी जीवनी में उन्होंने स्वतंत्रता के अपने पूरे इतिहास को बताया है। जब तक की आजादी मिल नहीं गयी वह अपने पूरे जीवन भर भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजी शासन के खिलाफ पूरे धैर्य और हिम्मत के साथ लड़ते रहे।

सादा जीवन और उच्च विचार सोच के व्यक्ति थे गाँधी जी जिसको एक उदाहरण के रुप में उन्होंने हमारे सामने रखा। वो धुम्रपान, मद्यपान, अस्पृश्यता और माँसाहारी के घोर विरोधी थे। भारतीय सरकार द्वारा उनकी जयंती के दिन शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है। वो सच्चाई और अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। नयी दिल्ली के राजघाट पर इसे ढ़ेर सारी तैयारीयों के साथ मनाया जाता है जैसे प्रार्थना, फूल चढ़ाना, उनका पसंदीदा गाना “रघुपति राघव राजा राम” आदि बजाकर गाँधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। मैं आप सबसे उनके एक महान कथन को बाँटना चाहूँगा “व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वो जो सोचता है वही बन जाता है”।

जय हिन्द

धन्यवाद

5. Short speech on gandhi jayanti 


मोहनदास करम चंद गाँधी जिन्हें हम महात्मा गाँधी कहते हैं, जिन्हें देश के राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई, इसलिए इन्हें प्यार से “बापू” कहकर पुकारा जाता हैं.

देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकालने में गाँधी जी का योगदान जगत विदित हैं. अहिंसा परमो धर्म के सिधांत पर चलकर इन्होने देश को एक जुट करके आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने की प्रेरणा दी.

गाँधी जी ही एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश की जनता को विश्वास दिलाया कि यह स्वतंत्रता की लड़ाई सबकी लड़ाई हैं एक छोटा सा योगदान भी देश की आजादी के लिए अहम् हिस्सा हैं. इस तरह से देश की जनता ने स्वतंत्रता की लड़ाई को अपनी लड़ाई बनाया और एक जुट होकर 200 वर्षो की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया.

आज श्री नरेंद्र मोदी भी देश को स्वच्छ बनाने के लिए गाँधी जी के उसी मार्ग को अपनाकर सभी देश वासियों को जागरूक कर रहे हैं कि देश को जिस तरह गुलामी की गंदगी से साफ़ करना सबका कर्तव्य था जिसमे सभी का योगदान महत्वपूर्ण था. उसी प्रकार देश को स्वच्छ रखना भी हम सबका कर्तव्य हैं जो कि सबके योगदान के बिना संभव नहीं हैं इसलिए स्वच्छता अभियान की शुरुवात 2 अक्टूबर गाँधी जयंती के दिन की गई थी.

गाँधी जयंती कब मनाई जाती हैं ? (Gandhi Jayanti Birth Anniversary Date)

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. गाँधी जी के सिधांतों से पूरा विश्व परिचित हैं और आदर के भाव से उन्हें याद करता हैं इसलिए इस गाँधी जयंती को “अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता हैं.

गाँधी जी ने सत्य, अहिंसा के बल पर देश को आजादी दिलाई. आज के समय में यह सोचकर ही सवालों की झड़ी सी लग जाती हैं कि कैसे संभव हुआ होगा सत्य,अहिंसा के बल पर अंग्रेजो को बाहर करना ? पर यह संभव किया गया था मोहनदास करम चंद गाँधी के द्वारा, जिसके लिए उन्होंने कई सत्याग्रह, कई आन्दोलन किये जिसमें देशवासियों ने इनका साथ दिया. इनके कहने मात्र से देशवासी एक जुट हो जाते थे जेल जाने को तत्पर रहते थे.

महात्मा गाँधी जीवन से जुड़ी अहम् बाते  (Mahatma Gandhi Short information In Hindi)
क्र परिचय बिंदु जीवन परिचय
1 पूरा नाम मोहन दास करम चंद गाँधी
2 माता पिता पुतली बाई, करम चंद गाँधी
3 पत्नी कस्तूरबा गाँधी
4 बच्चे हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
5 जन्म – मृत्यु 2 अक्टूबर 1869- 30 जनवरी 1948
6 अध्ययन वकालत
7 कार्य स्वतंत्रता सेनानी
8 मुख्य आन्दोलन
   दक्षिण अफ्रीका में आन्दोलन
   असहयोग आन्दोलन
    स्वराज (नमक सत्याग्रह)
    हरिजन आन्दोलन (निश्चय दिवस)
   भारत छोड़ो आन्दोलन
4 उपाधि राष्ट्रपिता (बापू)
5 प्रसिद्ध वाक्य अहिंसा परमो धर्म
6 सिधांत सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, शाखाहारी, सद्कर्म एवम विचार, बोल पर नियंत्रण
उपरोक्त तालिका में सूक्ष्म बिन्दुओं में गाँधी जी के जीवन की झलकियाँ थी. उनके गुण साधारण व्यक्तित्व के परिचायक नहीं थे. इनमे वे सभी गुण थे जो एक महान नेता में होना चाहिये.उस वक्त नेता की परिभाषा भिन्न थी नेता वो होता था जो अपने समूह का उचित नेतृत्व करता हो,जो सतकार्य का श्रेय समूह को देता हो एवं गलतियों का दायित्व खुद वहन करता हो, जो पहले स्वयं को नियमों में बांधता हो और फिर अपने साथियों को उन नियमों का पालन करवाता हो. इस प्रकार का स्वभाव ही एक सफल नेता का स्वभाव माना जाता हैं.गाँधी जी ने अपने इस दायित्वों का शत प्रतिशत पालन किया.

गाँधी जी का देश की स्वतंत्रता में योगदान  (Mahatma Gandhi Ji Ka Swatantra Me Yogdaan)
गाँधी जी एक साधारण व्यक्ति थे. उसी तरह उनके जीवन के भी वही सामान्य लक्ष्य थे, पढ़ना एवम कमाना जिसके लिए उन्होंने इंग्लैंड विश्वविद्यालय से बेरिस्टर की उपाधि प्राप्त की. अपनी माता को उन्होंने माँस एवम मदिरा ना छूने का वचन दिया था जिसका उन्होंने पालन किया. यही से उनके संतुलित विचारों की परीक्षा प्रारंभ हो गई.डिग्री लेने के बाद वे स्वदेश आकर आजीविका के लिए जुट गए लेकिन मन मुताबिक कुछ नहीं कर पाये. आखिरकार उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में एक नौकरी के लिए जाना स्वीकार किया.

गाँधी जी का दक्षिण अफ्रीका का जीवन
यह काल 1893 से 1914 तक का था कहा जा सकता हैं कि इसी काल ने गाँधी जी को एक साधारण व्यक्ति से  स्वतंत्रता सेनानी बनने की तरफ प्रेरित किया होगा. उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में काले गौरे का भेद चरम सीमा पर था जिसका शिकार गाँधी जी को भी बनना पड़ा. एक घटना जिसे हम सबने सुना हैं उन दिनों गाँधी जी के पास फर्स्ट क्लास का टिकट होते हुए भी उन्हें थर्ड क्लास में जाने को कहा गया जिसे उन्होंने नहीं माना और इसके कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया.उन्हें जीवन व्यापन में भी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. यहाँ तक की न्याय की उम्मीद में जब न्याय पालिका से गुहार की गई तब भी उन्हें अपमानित किया गया. इन सभी गतिविधियों के कारण गाँधी जी के मन में कहीं ना कही स्वदेश की परतंत्रता का विचार तेजी पर था उन्हें महसूस हो रहा था कि देश के लोग किस तरह से आधीन होकर अपने आप को नित प्रतिदिन अपमानित होता देख रहे हैं. शायद इसी जीवन काल के कारण गाँधी जी ने स्वदेश की तरफ रुख लिया और देश की आजादी में अपने आपको को समर्पित किया.

स्वदेश लौटकर गाँधी जी ने सबसे पहले किसान भाईयों को एक कर लुटेरे जमीदारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया. वे जमींदार भी अंग्रेजो के हुक्म के आधीन थे. राज कोष के लिए दो तीन गुना कर वसूला जाने लगा. इस तरह गरीबों को जानवरों की जिन्दगी से आजाद करने के लिए 1918 में गाँधी जी ने गुजरात के चंपारण और खेड़ा नामक स्थान पर लोगो का नेतृत्व किया. सबसे पहले उनके जीवन को एक सही दिशा में ले जाने के लिए उन्हें स्वच्छता का पाठ सिखाया फिर कर का विरोध करने के लिए मार्गदर्शन दिया. सभी ने एक जुट होकर अंग्रेजो एवम जमींदार के खिलाफ आवाज उठाई जिसके फलस्वरूप गाँधी जी को जेल में डाल दिया गया और पुलिस फ़ोर्स को जनता को डराने का आदेश दिया गया लेकिन इस बार सभी ने आन्दोलन का रास्ता चुना और गाँधी जी को बाहर निकालने के लिए आवाज बुलंद की. इस रैली का नेतृत्व लोह पुरुष वल्लभभाई पटेल ने किया और परिणाम स्वरूप गाँधी जी को रिहाई मिली. यह पहली बड़ी जीत साबित हुई. इस चंपारण खेड़ा आन्दोलन के कारण गाँधी जी को देश में पहचाना जाने लगा. लोगों में जागरूकता आने लगी और यही से देशव्यापी एकता की शुरुवात हो गई.और इसी समय इन्हें “बापू” कहकर पुकारा जाने लगा.

जलियांवाला बाग़ हत्याकांड
13 अप्रैल 1919 में पंजाब वर्तमान अमृतसर में एक महासभा में अंग्रेजो द्वारा नरसंहार किया गया. इस स्थान का नाम जलियांवाला बाग़ था. जहाँ सभा हो रही थी. उस दिन बैसाखी का पर्व था. जलिवाला बाग़ चारो तरफ से लम्बी दीवारों से बना हुआ था और केवल एक छोटा सा रास्ता था इसी बात का फायदा उठाकर अंग्रेज जनरल रेजीनॉल्ड डायर ने 90 सिपाहियों के साथ बिना ऐलान किये गोलीबारी शुरू कर दी. देखते ही देखते स्थान मृतक लाशो का मेला बन गया. लगभग 3 हजार लोग मारे गए. कई गोलियों से छल्ली हुए तो कई भगदड़ में दब गये और कई डर के कारण बाग़ में बने कुएँ में कूद गए. ब्रिटिश सरकार ने इस घृणित अपराध को दबा दिया और प्रशासन को मरने वालो की संख्या के गलत आंकड़े दिये गये. आज तक जलियांवाला बाग़ हत्याकांड सबसे निंदनीय कांड माना जाता हैं जिसकी निंदा स्वयं ब्रिटिशर्स ने की और आज तक कर रहे हैं.

देश व्यापी असहयोग आन्दोलन
जलियावाला हत्याकांड के बाद गाँधी जी ने देशव्यापी स्तर पर असहयोग आन्दोलन किया. यह 1 अगस्त 1920 को शुरू किया गया. इस आन्दोलन में पहली बार सीधे शासन के विरुद्ध आवाज उठाई गई. सदनों का विरोध किया गया. सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया गया. स्वदेश अपनाओ का नारा दिया गया. गाँधी जी ने अहिंसा के जरिये आन्दोलन के लिए देशवासियों को प्रेरित किया.

स्वराज आन्दोलन शुरू किया गया. दांडी यात्रा निकाल कर नमक कानून तोडा एवम अपना असहयोग अंग्रेजो के सामने प्रकट किया. इस तरह देश के हर कौने में लोगो ने गाँधी जी को फॉलो करना शुरू किया और पूरा देश स्वतंत्रता की इस लड़ाई का हिस्सा बनने लगा. इन सबके बीच कई बार गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा. कई स्वतंत्रता सेनानियों ने गाँधी जी के अहिंसा के पथ को नकार भी दिया. इस तरह नरम दल एवम गरम दल का निर्माण हुआ. गाँधी जी को कई कटुता भरे आरोपों का वहन भी करना पड़ा.

भारत छोड़ो आन्दोलन
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान देश में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू किया गया. 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आन्दोलन का एलान किया गया.यह एक ऐसा समय था जब ब्रिटिश हुकूमत युद्ध में फसी हुई थी. दूसरी तरफ देश की जनता जाग उठी थी. नरम दल एवम गरम दल दोनों ही अपने जोरो पर देश में आदोलन चला रहे थे. सभी नेता सक्रीय थे. सुभाषचंद्र बोस ने भी अपनी आजाद हिन्द फ़ौज के साथ “दिल्ली चलो” का ऐलान कर दिया था. इस प्रकार पुरे देश में खलबली के बीच भारत छोड़ो आन्दोलन की शुरुवात हुई जिसके बाद गाँधी जी को गिरफ्तार किया गया लेकिन देश में आन्दोलन अपनी तेजी से बढ़ रहा था.

स्वतंत्रता दिवस का दिन :
1942 से 47 के बीच देश की स्थिती में बड़े बदलाव आये. अंग्रेजी हुकूमत हिलने लगी. देश को एक जुट रखना भी मुश्किल था. जहाँ एक तरफ देश आजाद होने की तरफ बढ़ रहा था. वहीँ दूसरी तरफ हिन्दू मुस्लिम लड़ाई ने अपने पैर इस कदर फैला लिये थे कि अंग्रेजी हुकुमत ने देश को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान कर दिया. नये वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने संधि के  कई रास्ते दिखायें लेकिन अंततः भारत को आजादी देने का निर्णय लिया गया जिसमे पकिस्तान को अलग देश बनाने का निर्णय लेना पड़ा क्यूंकि उस वक्त गाँधी जी के लिए आजादी की कीमत ज्यादा थी जो कि इस विभाजन के बिना उन्हें संभव होती दिखाई नहीं दे रही थी इसलिए यह एतिहासिक फैसला लिया गया. 14 अगस्त की मध्य रात्रि को पकिस्तान का जन्म हुआ और 15 अगस्त को भारत को आजादी मिली.

गाँधी जी की मृत्यु  (Mahatma Gandhi Punya Tithi Death Aniversary Date)
आज कई बातों के लिए गाँधी जी को जिम्मेदार कहा जाता हैं शायद उसी कारण 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी को गोली मार कर आत्म समर्पण किया. पाकिस्तान के जन्म के लिए देश के लोगो ने आक्रोश था क्यूंकि इससे देश पृथक नहीं हुआ था अपितु देश के भीतर हिन्दू मुस्लिम लड़ाई ने अधिक उग्र रूप ले लिया था जिसका परिणाम हम सभी आज तक भोग रहे हैं.

इसके अलावा उस वक्त गाँधी जी ने देश में दलितों की स्थिती सुधारने के लिए देश में आरक्षण शुरू किया. उस वक्त हरिजन आन्दोलन की जरुरत थी क्यूंकि दलितों की स्थिती बहुत दयनीय थी किसी जानवर से भी ख़राब लेकिन आज सत्ता लोभियों ने इसे इस कदर बिगाड़ दिया कि इस आरक्षण के लिए भी गाँधी जी को जिम्मेदार ठहराया जाने लगा.

यह था गाँधी जी के जीवन का संक्षिप्त विवरण. गाँधी जी के जीवन में इतनी सारी बाते हैं जिन्हें मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती लेकिन कुछ बाते आपके सामने रखी हैं.

गांधी जयंती कविता (Gandhi Jayanti Kavita)


मैं गाँधी हूँ लेकिन सत्ता का भूखा नहीं
देश का वफादार हूँ परतंत्रता मुझे मंजूर नहीं

चाहो जो कहना हैं कह दो

मैंने कहकर नहीं, करके दिखलाया हैं

आज जो स्वतंत्र भूमि मिली हैं तुम्हे

कईयों ने उसे जान देकर छुड़ाया हैं

आसान हैं गलती निकालना

तकलीफों के लिए दोष दे जाना

मैंने अंग्रेजो को बाहर फैका था

तुम कूड़ा तो फेंक कर दिखलाओं

हमने अंग्रजों को बाहर फेंका था  

तुम खुद के लिए तो करके दिखलाओं

हमने तुम्हे स्वतंत्र भारत दिया था

तुम स्वच्छ भारत तो बनाओ

भले मत कहो इसे गाँधी जयंती

इसे स्वच्छ भारत का आवरण तो चढ़ाओ

गाँधी जयंती इस कविता के माध्यम से यही कहना चाहती हूँ, कि कब तक हम इतिहास को कोसेंगे कब तक किसी का मुँह देखेंगे. हम सभी को एकजुट होना होगा क्यूंकि देश की सफाई हो या भ्रष्टाचार की सफाई या आरक्षण की लड़ाई यह किसी एक का काम नहीं बल्कि पुरे राष्ट्र का दायित्व हैं.

6. A speech on the occasion of gandhi jayanti 


गांधी जयंती भारत में एक राष्ट्रीय छुट्टी 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिन से लोकप्रिय महात्मा गांधी या बापूजी के रूप में जाना राष्ट्र के पिता, मोहनदास करमचंद गांधी के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है। गांधी जी ने अहिंसा के उपदेशक के रूप में था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिन अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि शांति और सत्य का प्रतीक है। गांधीजी Porbunder, गुजरात में एक छोटे से शहर में, 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में कानून की पढ़ाई की और दक्षिण अफ्रीका में कानून का अभ्यास किया। अपनी आत्मकथा में गांधीजी “सत्य के साथ मेरे प्रयोग ‘अपने बचपन और किशोर उम्र के साल, 13 साल की उम्र और उसकी माँ को देश के लिए एक सरासर समर्पण पर कस्तूरबा के साथ उसकी शादी का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि सादा जीवन और उच्च विचार का एक उदाहरण स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि धूम्रपान, शराब पीने और गैर शाकाहार जैसे व्यसनों के खिलाफ था। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के अग्रदूत थे। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए ‘सत्याग्रह’ (अहिंसा) आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन से भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की कुल अहिंसा के मार्ग के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है कि दुनिया के लिए साबित कर दिया। देश भर में सभी संगठनों ने इस दिन को बंद रहता है। विशेष घटना गांधीजी अंतिम संस्कार किया गया नई दिल्ली जहां राजघाट पर आयोजित किया जाता है। लोग प्रार्थना, श्रद्धांजलि देने और गांधीजी का पसंदीदा गीत गाते है “रघुपति राघव राजा राम, Patit पवन सीता राम …”। “आप कल मर रहे थे के रूप में अगर जीते। आप हमेशा के लिए जीवित करने के लिए के रूप में अगर जानें।”

7. Gandhi jayanti speech for children 


दो अक्टूबर को गांधी जयंती है। इसी दिन 1869 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गुजरात के पोरबंदर में जन्म हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन के नेता और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नायक महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे नामक एक हिन्दू कट्टरपंथी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनके जन्मदिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी के बारे में विख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियों को इस पर यकीन नहीं होगा कि धरती पर ऐसा भी हाड़-मांस का बना कोई आदमी कभी रहा होगा। गांधी के ‘सत्याग्रह और अहिंसा’ के सिद्धांतों ने आगे चलकर भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाई। उनके दर्शन की बदौलत भारत का डंका पूरा विश्‍व में बोला और उनके सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्‍वतंत्रता आंदोलन के लिये प्रेरित किया। खुद गांधीजी ने अपने बारे में कहा था, “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।” जाहिर है आज चहुँओर बढ़ती हिंसा के बीच महात्मा गांधी ज्यादा प्रासंगिक हैं। गांधी जयंती पर अगर आपको भी भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना है तो आप नीचे दी सहयोगी सामग्री का प्रयोग कर सकते हैं।

मौजूदा दौर में जब भारत समेत पूरी दुनिया हिंसा और आतंकवाद के ग्रस्त और त्रस्त है। नई पीढ़ी हिंसा के साए में जी रही है और हिंसा से ही समस्याओं का समाधान निकालने पर उतारू है, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्रासंगिक नजर आते हैं। उन्होंने सत्याग्रह, अहिंसा और शांति का रास्ता अख्तियार कर ना केवल अंग्रेजी दास्तां से देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी बल्कि 1947 के विभाजन के दंश से उपजी सामाजिक विद्वेष की स्थितियों को भी काबू में करने की सार्थक कोशिश की थी। यही वजह है कि आज भी महात्मा गांधी विश्व पटल पर शान्ति और अहिंसा के प्रतीक के तौर पर जाने जाते हैं। गांधी जी की अहिंसा के सिद्धांत का लोहा मानते हुए संयुक्त राष्ट्र साल 2007 से उनकी जयंती (02 अक्टूबर) को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मना रहा है।

आज के समाज में लोगों को खासकर नई पीढ़ी को इस बात पर यकीन करना भी मुश्किल होता है कि गांधी जी ने अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, गांधी जी के बारे में प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्टीन ने उसी दौर में कहा था कि -‘हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था।

8. Speech on gandhi jayanti for kids in hindi 


गांधी जी के तीन बंदरों की कहानी आपने सुनी होगी जिनमें से एक अपने दोनों कान ढक लेता है, दूसरा दोनों आंख और तीसरा अपना मुंह। आज के दौर में गांधी जी के तीन बंदरों के दिए संदेश अगर लोग अपने जीवन में साकार कर लें तो उनकी आधी से ज्यादा समस्याएं दूर हो जाएंगी। सात्विक और मर्यादित जीवन में भी झूठ बोलना, गलत बातें सुनना या दूसरों की निंदा सुनना और गलत कार्यों को देखना वर्जित है।

गांधी जी शुरुआती जीवन से आखिर तक औसत विद्यार्थी ही रहे लेकिन जीवन पथ पर उन्होंने जो आदर्श और मापदंड स्थापित किए, जो पूरी दुनिया के लिए अनुकरणीय है। दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने गोरों के खिलाफ आंदोलन किया था। भारत लौटकर उन्होंने अंग्रेजों द्वारा जबरन नील की खेती कराए जाने का विरोध किया और बिहार के चम्पारण से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। गुजरात में नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी मार्च किया। छुआछूत, गरीबी, जाति-पाति में बंटे समाज, विधवा विवाह, बाल विवाह, सिर पर मैला ढोने एवं अन्य बुराइयों के खात्मे के लिए जनांदोलन शुरू किया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता अभियान महात्मा गांधी के सपनों से ही प्रेरित है।

9. Speech on gandhi jayanti for school 


महात्मा गांधी विश्व के महानतम नेताओं में से एक है | इनके अहिंसात्मक विचारों का लोहा पूरे संसार ने माना है और इसीलिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर हमारे प्यारे बापू को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी याद किया जाता है | यह विशेष दिन विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है |

महत्मा गांधीजी अहिंसा के पुजारी थे | वह सत्य की राह दिखाने वाले थे और सबसे महत्वपूर्ण बात वह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के निदेशक थे | इन्हें अनौपचारिक रूप से भारत का “राष्ट्रपिता” भी कहा जाता है |

इस महानायक के अहिंसात्मक वीरतापूर्ण गाथाओं से इतिहास के पन्ने भरे पड़ें है | जिस समय इस महात्मा का जन्म हुआ उस समय देश में आजादी की लहर फैल चुकी थी |

जगह – जगह क्रांति की ज्वाला धधक रही थी | लड़ाईयां हो रही थी | हिन्दू मुसलमान,  ऊँच – नीच तमाम प्रकार के भेद वर्तमान में विराजमान थे |

ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए देश को एक ऐसे व्यक्ति की अत्यंत आवश्यकता थी जो सभी जाति – पाती और हिंसा के भेदो को मिटाकर अहिंसा का मार्ग दिखाए | और तब इस देव – विभूति ने 2 अक्टूबर, 1869 ई. गुजरात के काठियावाड़ जिले के पोरबन्दर नामक स्थान पर एक वैश्य परिवार में प्रथम दर्शन दिया | इनके पिता का नाम कर्मचंद्र और माता का नाम पुतलीबाई था |

10. Gandhi jayanti speech for teachers 


बचपन में ही सत्य हरिश्चंद्र नाटक देखने से इनपर हरिश्चंद्र के गुणों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और ये उसी समय से परम सत्यवादी बन गए |

1887 में में इन्होंने ‘प्रवेशिका’ परीक्षा पास की | कानून के अध्ययन हेतु 1888 में इग्लैंड गए | वहा इन्होंने ‘इनरटेपल’ से बैरिस्टरी पास की और अपने देश में इसका अभ्यास शुरू किया लेकिन लज्जालु स्वभाव के होने के कारण बैरिस्टरी में सफल नहीं हो सके |

कुछ दिनों बाद एक नये मुकदमे के शिलशिले में इन्हें अफ्रीका जाना पड़ा जहाँ भारतियों पर गोरों के अत्याचार को देखकर इनका दिल दहल उठा और वहां के भारतियों को जगाने के लिए गांधी जी ने दृढ़ संकल्प लिया | अफ्रीका में ही इन्होंने सर्वप्रथम अहिंसात्मक सत्याग्रह रूपी अमोघ अस्त्र का प्रयोग किया |

1914 में ये भारत लौटकर अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की तथा चम्पारण में किसानों की रक्षा के लिए निलहे गोरों के अत्याचारों के विरुद्ध भैरव – हुँकार किया |

सन 1920, 1930, 1940, 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व गांधीजी ने किया जिसके लिए इनको अनेको बार जेल के शिकंजो को भी तोड़ना पड़ा | अपार कष्टों और लाठियों की मार ने भी इन्हें अपना अहिंसा का मार्ग बदलने के लिए मजबूर न कर सका |

6 जुलाई 1944 को सुभाषचंद्र बोस देश से बाहर होने की वजह से रेडियों के माध्यम से गांधीजी को संबोधित करते हुए भाषण दिया और भाषण में उन्होंने जापान से सहायता और आजाद हिन्द फ़ौज के गठन का उद्देश्य बताया |

इसी भाषण में उन्होंने गांधीजी को पहली बार राष्ट्रपिता कहकर आशीर्वाद मांगा और तभी से गांधीजी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहे जाने लगे |

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने करो या मरो के नारे द्वारा स्वतंत्रता के आन्दोलन को उग्र रूप प्रदान किया नतीजा 15 अगस्त 1947 को भारत देश अग्रजों की गुलामी से आजाद हुआ |

देश की आजादी के बाद इन्होंने कोई भी पद लेने से इंकार कर दिया और देश की नि:स्वार्थ सेवा में सदैव तत्पर रहे | महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के प्रतीक थे | इस महान इंसान ने कदम – कदम पर खुद को गढ़ा और अपना पूरा जीवन भारत को आजाद करने में लगा दिया |

30 जनवरी 1948 को हमारे प्यारे बापू यानि महात्मा गांधी के देह को नाथूराम गोडसे ने क्षत – विक्षत कर दिया | पर क्या वह हमारे राष्ट्रपिता को मार सका ? यकीनन नहीं |

वह आज भी लाखों करोड़ों लोगों की ह्रदय में जिन्दा है क्योंकि सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी ने देश की आजादी को कभी भी जीवन का अन्तिम लक्ष्य नहीं माना |

उनकी नजर में स्वराज्य तो केवल दासता से मुक्ति थी और बेहतर जिंदगी का साधन मात्र थी | उन्होंने बारम्बार यह बात कही कि उनके लिए इस आजादी का तब तक कोई मूल्य नहीं जब तक कि सबसे पीड़ित और सबसे कमजोर को शोषण और अन्याय से मुक्ति न मिले |

गांधी जी कहते थे कि “न सिर्फ भारत की बल्कि सारी दुनिया की अर्थरचना ऐसी होनी चाहिए कि किसी को भी अन्न और वस्त्र के अभाव की तकलीफ न सहनी पड़े |

दूसरे शब्दों में हर एक को इतना काम अवश्य मिल जाना चाहिए कि वह अपने खाने – पहनने की जरूरते पूरी कर सके और यह आदर्श निरपवाद रूप से तभी कार्यान्वित किया जा सकता है, जब जीवन की प्राथमिक आवश्यकताओं के उत्पाद के साधन जनता के हाथ में रहे |”

बापू के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचार आज के उपभोक्तावादी, तनावग्रस्त एवं अशांत दुनिया को उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने में कारगर एवं प्रासंगिक है | गांधी जयंती के द्वारा हम उनके इन्हीं विचारों को सामाज में फैलाने का आवाहनं करते है |

हर साल गांधी जयंती के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते है तथा देश के कोने – कोने में विभिन्न उद्देश्यपूर्ण क्रिया – कलापों का आयोजन होता है |

इस दिन उनके दर्शन और सिद्धांतों पर व्याख्यान, भाषण व संगोष्ठियाँ होती है | गांधी जी के पसंदीदा चीजों को धारण कर उनके प्रति सच्ची श्रद्धा एवं श्रद्धांजलि व्यक्त किए जाते है | उनके बताएं गए रास्तों पर चलने का संकल्प लिया जाता है |

राष्ट्रपिता का पसंदीदा भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे  ” को समुदाय, समाज, शिक्षण संस्थान सरकारी कार्यालयों आदि सभी जगहों पर लोग सुनते है तथा बापू को शांति और सच्चाई के उपासक के रूप में याद करते है |


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