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Thursday, March 20, 2014

Hindi Shayari - हिंदी शायरी (भाग - 169)

(१) मोहब्बत की हद्द है सितारों से आगे,
प्यार का जहाँ है बहारों से आगे,
वो दीवानों की कश्ती जब बहने लगी,
तो बहते बह गई किनारों से आगे।

(२) मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है,
दर्द-ए-दिल होता है, दर्द-ए-जिगर होता है,
बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं,
खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।

(३) न जाने क्यों उससे प्यार करता हूँ मैं,
न जाने क्यों उसपे जान निस्सार करता हूँ मैं,
यह जानता हूँ वह देगा धोखा एक दिन,
फिर भी जाने क्यों उसपे ऐतबार करता हूँ मैं।

(४) कहते हैं लोग खुदा की इबादत है,
ये मेरी समझ में तो एक जहालत है,
चैन न आए दिल को, रात जाग के गुजरे,
जरा बताओ दोस्तों क्या यही मोहब्बत है।

(५) देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी।

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