Breaking

Tuesday, August 16, 2011

Hindi Shayari - हिंदी शायरी - (भाग - 140)

(१) चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !
दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ !! 
 
(२) पत्थरों से प्यार किया नादान थे हम !
गलती हुई क्योकि इंशान थे हम....!!
आज जिन्हें नज़रें मिलाने में तकलीफ होती हैं !
कभी उसी सक्स की जान थे हम....!!
 
(३) सुकून-ऐ-जान के लिए दुवा कैसे करू !
दर्द तो उसने दिया हैं, गिला कैसे करू !!
सोचता हूँ कभी की मैं मर जाऊ....!
लेकिन उनको जमाने में अकेला कैसे करू !!
 
(४) जब ख्वाबो में रिश्ते बनाता हूँ !
तेरे दामन को और करीब पाता हूँ !!
राहे उल्फत मुस्किल हैं मगर...!
तेरी यादों से अपनी साँसे चलाता हूँ !!
 
(५) भूल जाए तुमको कोई इरादा नहीं हैं !
तेरे सिवा सिकी और से वादा नहीं नहीं हैं !!
निकाल देते दिल से शायद तुमको....!
मगर इस नादान दिल में दरवाजा नहीं हैं !!

No comments:

Post a Comment