योग दिवस पर भाषण हिन्दी मे : Read best speech on yoga for international yoga day 2018 in hindi. find best yoga ka mahatva par speech in hindi, essay on international yoga day and importance of yoga in students life in hindi.
Yoga Day Speech in Hindi - अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस स्पीच
1. Yoga Day Speech in Hindi
योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। पतंजली योग दर्शन के अनुसार – योगश्चित्तवृत्त निरोधः अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है… जीवन जीने की एक कला है योग। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं, पहला है– जोड़ और दूसरा है समाधि।जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुँचना कठिन होगा अर्थात जीवन में सफलता की समाधि पर परचम लहराने के लिये तन, मन और आत्मा का स्वस्थ होना अति आवश्यक है और ये मार्ग और भी सुगम हो सकता है, यदि हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लें।
योग स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है। योग विश्वास करना नहीं सिखाता और न ही संदेह करना और विश्वास तथा संदेह के बीच की अवस्था संशय के तो योग बिलकुल ही खिलाफ है। योग कहता है कि आपमें जानने की क्षमता है, इसका उपयोग करो। अनेक सकारात्मक ऊर्जा लिये योग का गीता में भी विशेष स्थान है। भगवद्गीता के अनुसार – सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते अर्थात् दुःख–सुख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है। । यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। योग के माध्यम से आत्मिक संतुष्टि, शांति और ऊर्जावान चेतना की अनुभूति प्राप्त होती है, जिससे हमारा जीवन तनाव मुक्त तथा हर दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढता है। हमारे देश की ऋषि परंपरा योग को आज विश्व भी अपना रहा है।
जिसका परिणाम है कि 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Yoga Day ) मनाये जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखे गये प्रस्ताव को 177 देशो ने अत्यंत सीमित समय में पारित कर दिया l और आज 21 जून 2018 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस / Second International Yoga Day पूरी दुनिया मे बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है ।
जैसे की हम सब जानते हैं, प्रतिवर्ष 21 जून को विश्व स्थर पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाया जाता है। पुरे विश्व भर में इस दिन को मनाने की शुरुवात करने में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का बहुत अहम् योगदान रहा है।
उन्होंने United Nation में जा योग के लाभ और इसकी महत्व को विश्व भर के लोगों को समझाया और आज पुरे विश्व भर में इस दिन को बहुत ही उत्साह और योग कर के मनाया जाता है।
यूनाइटेड नेशन ने अपनी असेंबली में 3 महीने के भीतर ही घोषणा किया की विश्व योग दिवस को 21 जून को मनाया जायेगा। नरेन्द्र मोदी जी ने इसके विषय में अपना सुझाव 27 सितम्बर 2014 को यूनाइटेड नेशन के समक्ष रखा था जिसे उन्होंने 11
दिसम्बर 2014 को स्वीकृति देते हुए घोषित किया। उसी के बाद से इस दिन को पुरे विश्व भर में 21 जून को मनाया जाने लगा है। इस दिन को Yoga Day भी कहते हैं।
इस दिन को पुरे विश्व भर में बड़े से छोटे क्षेत्रों में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग मिल झूल कर बड़े मैदानों में योग करते हैं। यहाँ तक की सभी मंत्रिगण और स्वयं पि ऍम नरेन्द्र मोदी जी भी इसमें भाग लेते हैं।
इस दिन योग करने के साथ-साथ लोग पुरे विश्व भर में अन्य कार्यक्रम जैसे ध्यान, मीटिंग, योग के लिए लोगों को बढ़ावा देना, योग पर वाद विवाद प्रतियोगिताएं और लेखन के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं।
अपने शरीर को भला इस संसार में कौन स्वस्थ नहीं रखना चाहता है और यह बात अब अंतर्राष्ट्रीय (International Day of Yoga) रूप से स्वीकृत हो चुकी है कि 'भारतीय योग या योगा' मानव-शरीर को स्वस्थ रखने में बेहद कारगर है. कई लोग यह तर्क दे सकते हैं कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए 'व्यायाम' ही काफी है, तो रूकिए योग सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य की बात ही नहीं करता है, बल्कि वह मानसिक स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखने की उतनी ही बात करता है. और कहते हैं न कि स्वस्थ मस्तिष्क में ही स्वस्थ विचार आते हैं और विचार से ही मनुष्य नाना प्रकार के कर्म करता है. जाहिर है अगर आपके उत्तम और व्यवस्थित विचार होंगे तो उसका लाभ आपके साथ-साथ आपके पड़ोस, परिवार और पूरे समाज को मिलेगा, अन्यथा सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य से आप 'आतंकवादी' बन सकते हैं, इस बात में दो राय नहीं! यह अतिवादी या डरावना विचार नहीं है, बल्कि आप पहले 'अलकायदा' और अब 'इस्लामिक स्टेट' (आईएस) वालों को देख लीजिए और आप समझ जायेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य का उत्तम होना किस कदर आवश्यक है. योग यही तो सिखाता है, उसके मन्त्र यही तो बताते हैं कि सबका कल्याण हो, सब तरफ शान्ति हो! अगर वैज्ञानिक ढंग से भी देखा जाय तो अगर आप उत्तम विचारों को, उत्तम शब्दों को रोज दुहराते हैं तो कोई कारण नहीं कि उसका सकारात्मक परिणाम सामने न आये. कई लोग योग में 'ॐ' शब्द (Om word) के उच्चारण पर विवाद खड़ा करने को उत्सुक हैं, जिसमें छद्म सेक्युलर (so called seculars) लोगों का एक बड़ा समूह है. ऐसे लोगों को हमारे उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी की पत्नी महोदया ने बेहद सटीक जवाब दिया.
उप राष्ट्रपति की पत्नी सलमा अंसारी (Salma ansari statement about Yoga) ने इस सन्दर्भ में कहा कि 'ॐ' के उच्चारण से ऑक्सीजन मिलती है इसलिए इसका विरोध गलत है. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में मदरसा अलनूर स्कूल में बच्चों को सम्मानित करने गयीं सलमा अंसारी ने तब यह भी कहा कि वे भी योग करती हैं क्योंकि इससे फिटनेस मिलती है, तो योग से उन्हें बीमारी से उबरने में मदद मिली है. सलमा अंसारी ने गर्व से कहा कि अगर उन्होंने योग नहीं किया होता तो उनकी हड्डी टूट गई होती. जाहिर है, इस बात से उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगा है, जो हर कार्य में विवाद घुसेड़ने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं. साफ़ बात है कि अगर आप पढ़े-लिखे हैं तो आपको हर वो काम करना चाहिए, जिससे आपको फायदा मिलता हो. हालाँकि, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 'ॐ' के उच्चारण को लेकर मचे बवाल के बाद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू (Venkaih naidu on International Day of Yoga) ने इस मामले में सरकार की तरफ से कहा था कि योग दिवस के मौके पर योग सत्रों के दौरान 'ॐ' का उच्चारण जरूरी नहीं है और यह स्वैच्छिक है. नायडू ने यह भी ट्वीट किया था कि योग को विवादास्पद न बनाएं. जाहिर है, सरकार ने इस मामले में व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाया है और अब बारी है उन लोगों की जो इसे फायदेमंद तो समझते हैं लेकिन दकियानूसी लोगों के बहकावे में आकर इसे 'हिन्दुओं का योग' समझते हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations on International Day of Yoga) के अध्यक्ष सैम के कुटेसा ने पिछली साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की और कहा कि 170 से अधिक देशों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव का समर्थन किया है. यह एक बड़ी उपलब्धि थी और 'विश्व योग दिवस' वर्ष 2015 में 21 जून को प्रथम बार सम्पूर्ण विश्व में मनाया गया तो प्रत्येक वर्ष यह दिवस 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित हुआ.
अगर हम योग के इतिहास की बात करें तो योग की शुरुआत भारत में पूर्व-वैदिक काल में हुयी मानी जाती है. योग भारत की धरोहर है (International Day of Yoga and Indian culture) और ये हजारों साल से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है. शायद यही कारण है कि हमारी संस्कृति ने तमाम आक्रमणकारियों को झेलने के बावजूद आज 21वीं सदी में भी अपनी अहमियत कायम रखी है. दुनिया भर के अनगिनत लोगों ने योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाया है और इसका प्रचार-प्रसार किया है, जिससे इसकी महत्ता आप ही प्रमाणित हो जाती है. इसी क्रम में अगर हम गहराई में जाते हैं तो संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद (Yoga in Rigveda) में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है. स्वयं भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से योग का प्रारम्भ माना जाता है. बाद में योगीराज कृष्ण (Yoga and Lord Krishna), भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध (Yoga and Bhagwan Mahavir and Mahatma Buddha) ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया. वर्तमान समय में पतंजलि योगपीठ के माध्यम से बाबा रामदेव (International Day of Yoga and Baba Ramdev) ने इसे जन-जन तक पहुँचाने का काम किया है तो दूसरी तमाम संस्थाएं और योग-टीचर अपने-अपने स्तर पर इसके लिए सक्रीय हुए हैं. आज बड़ी कारपोरेट कंपनियां अपने कर्मचारियों को तनावमुक्त रखने के लिए योग टीचर (Corporate Yoga and Yoga Teachers) तक हायर कर रखे हैं तो मोटापा, तनाव और दूसरी अनेक बिमारियों से करोड़ों व्यक्ति योग के सहारे मुकाबला करने में खुद को सक्षम बना रहे हैं. अनेक सकारात्मक ऊर्जा लिये योग का गीता (Yoga in Srimad Bhagwat Geeta) में विशेष स्थान है. गीता में लिखा है कि
अर्थात् दुःख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है. स्पष्ट है कि योग का शारीरिक स्वास्थ्य से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य ठीक रखने में योगदान है.
अलग तरह के विचारक ओशो ने भी योग के महत्त्व को बताया है और कहा है कि ‘योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा प्रायोगिक विज्ञान है'. योग जीवन जीने की कला है और एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है. इन दिनों भारत के साथ ही सम्पूर्ण विश्व के लोगों में योग को लेकर जिज्ञासा बढ़ी है और 'विश्व योग दिवस' का उद्देश्य ही समस्त विश्व में योग से होने वाले लाभों के प्रति लोगों को जागरूक करना है. आज के प्रदूषित वातावरण में योग का महत्त्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि योग एक ऐसी औषधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है. योग के कई आसान क्रियाएं लोगों को रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम साबित हो चुके हैं. कई जगहों पर जहाँ हमारा मेडिकल साइंस फेल हो चुका है, वहां भी योग कारगर साबित हो रहा है. योग का प्रयोग शारीरिक, मानसिक और आध्यत्मिक लाभों के लिए हमेशा से होता रहा है. आज की चिकित्सा शोधों ने ये साफ़ तौर पर साबित कर दिया है कि योग शारीरिक और मानसिक रूप से मानवजाति के लिए वरदान है, क्योंकि इसके विभिन्न आसन विभिन्न रोगों में अति लाभदायक हैं. अगर हम इसके कुछ आसनों का उदाहरण लेते हैं, जैसे शवासन, तो ये ब्लडप्रेसर को नियंत्रित करता है. इसी प्रकार, कपालभांति प्राणायाम स्वस्थ जीवन के लिये संजीवनी के सामान है तो भ्रामरी प्राणायाम के योगासन से मन को शांति मिलती है.
6. Yoga Day Speech in Hindi By Narendra Modiजाहिर है कि योग के अंग प्राणायाम एवं ध्यान भी योगासनों की तरह शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं. प्राणायाम के द्वारा श्वास-प्रश्वास की गति पर नियंत्रण होता है, जिससे श्वसन संस्थान सम्बन्धित रोगों में बहुत फायदा मिलता है. दमा, एलर्जी, साइनोसाइटिस, पुराना नजला-जुकाम आदि रोगों में तो प्राणायाम बहुत फायदेमंद है ही साथ ही इससे फेफड़ों की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है. इससे शरीर की कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगता है जिसका पूरे शरीर पर सकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक ही है. ऐसे तमाम आसन हैं जिसको करने से बिना दवाइयों के स्वास्थ्य लाभ तमाम लोग उठा रहे हैं. इसी कड़ी में, योगासनों के नित्य अभ्यास से मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम होता है, जिससे तनाव दूर होकर अच्छी नींद आती है तो भूख भी अच्छी लगती है और पाचन भी सही रहता है. आजकल के जमाने में हर काम जब कंप्यूटर के द्वारा किया जाता है तो जाहिर सी बात है कि ऐसे में लोगों को घंटों कंप्यूटर के सामने बैठना पड़ता है और फिर तमाम बीमारियां लोगों के शरीर में घर कर ले रही हैं. ऐसे लोगों को कमर दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है. ऐसे में शलभासन तथा ताड़ासन हमें दर्द निवारक दवा से मुक्ति दिलाता है. बदलते खानपान की वजह से पेट में गैस की समस्या आम बात हो गयी है, तो ऐसे में पवनमुक्तासन अपने नाम के अनुरूप पेट से गैस की समस्या को दूर करता है. बड़े-बुजुर्गो के साथ ही जवां लोगों में भी हड्डियों की समस्या जैसे गठिया आम है, इसमें मेरूदंडासन काफी सफल है.
योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियां समाप्त हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है. आखिर, 24 घंटे तो हम इस भागदौड़ की ज़िन्दगी में भागते रहते हैं, फिर ऐसे में चंद मिनट हमें अपने शरीर के लिए भी निकालना चाहिए. कुछ मिनट ही यदि हम नियमित योग करते हैं तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं. फिट रहने के साथ ही योग हमें पॉजिटिव ऊर्जा से भर देता है, इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि योग हमारे जीवन के लिये हर तरह से आवश्यक और अनिवार्य बन चुका है. इसके लिए अगर आपके पास योग टीचर न हो तो घबराइए नहीं, बल्कि इंटरनेट पर यूट्यूब में आपको हर तरह के आसन सीखने को मिल जायेंगे. इसलिए आइये, हर तरह के विवाद से दूर रखकर हम अपना 'तन मन और जीवन' सकारात्मक दिशा में बढ़ाने के लिए 'योग' को अपना आजीवन साथी बनाएं. न केवल अपने जीवन को, बल्कि अपने विचारों से विश्व को 'शान्ति' का अहसास कराएं. आखिर अमेरिका या विश्व के किसी भी देश में कोई एक व्यक्ति बन्दूक उठाकर सैकड़ों लोगों को मार गिराता है तो इसे उसकी 'मानसिक और आध्यात्मिक' सोच पर प्रश्नचिन्ह ही तो उठता है. ऐसे में योग से बेहतर कुछ नहीं और 'इंटरनेशनल योगा डे' पर इससे बेहतर संकल्प दूसरा नहीं!
योग का भारतीय संस्कृति में एक प्रमुख स्थान है। जब से भारत की सभ्यता पायी जाती है, वेदों और पुराणों में तब से योग की महिमा गाई गयी है। योग मात्र कोई शारीरिक गतिविधि नहीं है। यह एक ऐसी शक्ति है जो कई असाध्य रोगों को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता रखते हैं। आज तो योग पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। इसी कारण ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाना प्रारंभ हुआ। इस वर्ष भी 21 जून, 2017 दिन बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। आइये विस्तार से जानते है योग और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के बारे में।
21 जून वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है।
पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण देकर योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने की पहल की। जिसके संबंध में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा:
“योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है।
यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”—नरेंद्र मोदी, संयुक्त राष्ट्र महासभा
11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को ” अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है। जिसके बाद 21 जून को ” अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” घोषित किया गया।
योग क्या है? योग की परिभाषा-
योग भारत और नेपाल में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ जोड़ना है। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
पहला है- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध और दूसरा जोड़। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है। गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ योग से कर्मो में कुशलता आती हैं। योग की उच्चावस्था समाधि, मोक्ष, कैवल्य आदि तक पहुँचने के लिए अनेकों साधकों ने जो साधन अपनाये उन्हीं साधनों का वर्णन योग ग्रन्थों में समय समय पर मिलता रहा। उसी को योग के प्रकार से जाना जाने लगा।
योग की प्रमाणिक पुस्तकों में शिवसंहिता तथा गोरक्षशतक में चार प्रकार के योग का वर्णन मिलता है –
मंत्रयोगों हष्ष्चैव लययोगस्तृतीयकः। चतुर्थो राजयोगः (शिवसंहिता , 5/11)
मंत्रो लयो हठो राजयोगन्तर्भूमिका क्रमात् एक एव चतुर्धाऽयं महायोगोभियते॥ (गोरक्षशतकम् )
ऊपर दिए गए दोनों श्लोकों से योग के चार प्रकार इस तरह हैं :- मंत्रयोग, हठयोग लययोग व राजयोग। इनका विश्लेषण इस प्रकार है।
⇒धर्म वृक्ष:- धर्म के सकारात्मक पहलू
मन्त्रयोग
‘मंत्र’ का समान्य अर्थ है- ‘मननात् त्रायते इति मंत्रः’। मन को त्राय (पार कराने वाला) मंत्र ही है। मंत्र योग का सम्बन्ध मन से है, मन को इस प्रकार परिभाषित किया है- मनन इति मनः। जो मनन, चिन्तन करता है वही मन है। मन की चंचलता का निरोध मंत्र के द्वारा करना मंत्र योग है। मंत्र से ध्वनि तरंगें पैदा होती है मंत्र शरीर और मन दोनों पर प्रभाव डालता है। मंत्र में साधक जप का प्रयोग करता है मंत्र जप में तीन घटकों का काफी महत्व है वे घटक-उच्चारण, लय व ताल हैं। तीनों का सही अनुपात मंत्र शक्ति को बढ़ा देता है।
हठ का शाब्दिक अर्थ हटपूर्वक किसी कार्य करने से लिया जाता है। हठ प्रदीपिका पुस्तक में हठ का अर्थ इस प्रकार दिया है- ह का अर्थ सूर्य तथ ठ का अर्थ चन्द्र बताया गया है। सूर्य और चन्द्र की समान अवस्था हठयोग है।
चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। साधक के चित्त् में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रहम का ध्यान रहे इसी को लययोग कहते हैं।
राजयोग
राजयोग सभी योगों का राजा कहलाया जाता है क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ समामिग्री अवश्य मिल जाती है। राजयोग में महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है। राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है।
महर्षि पतंजलि और अष्टांग योग
महर्षि पतंजलि ने समाहित चित्त वालों के लिए अभ्यास और वैराग्य तथा विक्षिप्त चित्त वालों के लिए क्रिया योग का सहारा लेकर आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया है। पतंजलि, व्यापक रूप से औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते है। पतंजलि के योग, बुद्धि का नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है,राज योग के रूप में जाना जाता है।
ये आठ अंग इस प्रकार हैं:-
1. यम (पांच “परिहार”) :- अहिंसा, झूठ नहीं बोलना, गैर लोभ, गैर विषयासक्ति और गैर स्वामिगत।
2. नियम (पांच “धार्मिक क्रिया”) :- पवित्रता, संतुष्टि, तपस्या, अध्ययन और भगवान को आत्मसमर्पण।
3. आसन :- मूलार्थक अर्थ “बैठने का आसन” और पतांजलि सूत्र में ध्यान।
4. प्राणायाम (“सांस को स्थगित रखना”) :- प्राणा, सांस, “अयामा “, को नियंत्रित करना या बंद करना। साथ ही जीवन शक्ति को नियंत्रण करने की व्याख्या की गयी है।
5. प्रत्यहार (“अमूर्त”) :- बाहरी वस्तुओं से भावना अंगों के प्रत्याहार।
6. धारणा (“एकाग्रता”) :- एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना।
7. ध्यान (“ध्यान”) :- ध्यान की वस्तु की प्रकृति गहन चिंतन।
8. समाधि(“विमुक्ति”) :- ध्यान के वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना। इसके दो प्रकार है – सविकल्प और अविकल्प। अविकल्प समाधि में संसार में वापस आने का कोई मार्ग या व्यवस्था नहीं होती। यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।
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