Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes Hindi
1.
जो मनुष्य समय के कुच्रक मे भी पूरी शिद्दत से, अपने कार्यो मे लगा रहता है। उसके लिए समय खुद बदल जाता है।
2.
जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।
3.
अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।
4.
एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है। क्योकी पुरुर्षाथ भी विद्या से ही आती है।
5.
इस जीवन मे सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योकी दिन और रात की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पङता है।
6.
आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।
7.
अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
8.
एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
9.
सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर।अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
10.
उत्साह मनुष्य की ताकत, संयम और अडिकता होती है। सब का कल्याण मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए। तो कीर्ति उसका फल होगा।
11.
जब लक्ष्य जीत की हो, तो हासिल करने के लिए कितना भी परिश्रम, कोई भी मूल्य , क्यो न हो उसे चुकाना ही पङता है।
12.
शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो, उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।
13.
शत्रु को कमजोर न समझो, तो अत्यधिक बलिष्ठ समझ कर डरना भी नही चाहिए।
14.
अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
15.
जब हौसले बुलन्द हो, तो पहाङ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
16.
कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योकी हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।
17.
जरुरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने मे, वीरता हो। वीरता तो विजय मे है।
18.
प्रतिशोध मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का उपाय होता है।
19.
एक छोटा कदम छोटे लक्ष्य पर, बाद मे विशाल लक्ष्य भी हासिल करा देता है।
20.
स्वतंत्रता एक वरदान है, जिसे पाने का अधिकारी हर कोई है।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Facets Hindi
1.
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था.
2.
इनकी माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शाहजी भोंसले था.
3.
शिवाजी महाराज का जन्म स्थल शिवनेरी का दुर्ग पुणे से उत्तर की तरफ़ जुन्नर नगर के पास था.
4.
शिवाजी महाराज को छत्रपति शिवाजी महाराज और शिवाजी राजे भोसले के नाम से जाना जाता है.
5.
शिवाजी महाराज महान देशभक्त, राष्ट्र निर्माता कुशल प्रशासक और दृढनिश्चयी और बहुत बुद्धिमान थे.
6.
इन्होने अपना बचपन अपनी माता जीजाबाई के मार्गदर्शन में बिताया.
7.
शिवाजी का अपनी माँ जीजाबाई से बहुत लगाव था और वे उनकी हर आज्ञा का पालन करते थे.
8.
शिवाजी का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था जिस कारण उनसे मिलने वाला हर व्यक्ति प्रभावित हो जाता था.
9.
इनकी माता ने इनके अन्दर बचपन से राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा को बढ़ावा दिया.
10.
शिवाजी महाराज पर इनके माता-पिता का गहरा प्रभाव पड़ा और अपने संस्कारो के कारण ही वे महान बने.
11.
इन्होने बचपन से ही शासक वर्ग की क्रूरता देखी थी जिस कारण इनके अंदर बचपन से ही क्रूर शासन को उखाड़ फेंकने के विचार उठने शुरू हो गये थे.
12.
छत्रपति शिवाजी का विवाह 14 मई सन 1640 में सइबाई निम्बालकर के साथ हुआ.
13.
शिवाजी महाराज हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए मैदान में उतरे और मुग़ल शासको के खिलाफ उन्होने युद्ध की घोषणा करी.
14.
शिवाजी महाराज मुग़ल शासकों के अत्याचारों को अच्छी तरह से जानते थे, इसलिए वे मुगलों का गुलाम नहीं बनना चाहते थे.
15.
उन्होंने एक वीर, कुशल और मजबूत सेना बनाई और अपनी सेना के साथ मिलकर रोहिङा, जावली, जुन्नार, कोंकण और कल्याणीं प्रदेशों पर अधिकार स्थापित किया.
16.
प्रतापगढ व रायगढ दुर्ग जीतने के बाद शिवाजी महाराज ने रायगढ को मराठा राज्य की राजधानी बनाया.
17.
शिवाजी संत रामदास और तुकाराम से बहुत प्रभावित हुए. संत रामदास शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरु भी थे.
18.
शिवाजी की लोकप्रियता से घबराकर आदिलशाह ने अफजल खान को शिवाजी को मारने के लिए भेजा पर शिवाजी महाराज ने उसका वध कर दिया और बीजापुर पर अधिकार कर लिया.
19.
शिवाजी महाराज ने अपने पिता की छोटी सी जागीर को स्वतंत्र कराया और उसे एक नये राज्य के रूप में स्थापित किया.
20.
शिवाजी महाराज ने एक नयी युद्ध शैली को जन्म दिया जिसे गोरिल्ला रणनीति (छापामार नीति) के नाम से पूरे विश्व में जाना जाता है.
21.
छत्रपति शिवाजी के मंत्रीपरिषद में आठ मंत्री थे. जिन्हे अष्ट – प्रधान भी कहा जाता है.
22.
छत्रपति शिवाजी के राष्ट्र का ध्वज केसरिया था.
23
शिवाजी महाराज का सन 1674 में रायगढ़ में राज्याभिषेक हुआ और इन्हें छत्रपति की उपाधि मिली.
24.
शिवाजी महाराज जनता की सेवा को ही अपना धर्म मानते थे और उन्होंने अपने सभी प्रजा को समान अवसर प्रदान किया. जिस कारण वे बहुत लोकप्रिय हुए.
25.
अफजल खान का वध, शाइस्ता खान को हराना और औरंगजेब की गिरफ्त से चालाकी से बाहर निकलना शिवाजी महाराज के अदम्य साहस को दिखाता है.
26
3 अप्रैल सन 1680 को लम्बी बीमारी के कारण शिवाजी की मृत्यु हो गई.
27.
शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र सम्भाजी उत्तराधिकारी बने और मराठो की आजादी को बरकरार रखा.
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